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एकेक मैं प्रतिमा सत आठ, मैं तिहुजोग त्रिकाल सयानें ॥ ३६ ॥
अर्थ - पातालमें अर्थात् चित्रा पृथिवी के नीचे भवनवासी देवोंके भवनों में ७७२००००० अकृत्रिम जिनमंदिर हैं, मध्यलोक में अर्थात् जम्बूद्वीपसे तेरहवें रुचक कुंडलगिरि नामके तेरहवें द्वीपतकके क्षेत्रमें ४५८ जैन मंदिर हैं। व्यन्तरदेवोंके और ज्योतिषीदेवों के भवनों में असंख्यात चैत्यालय हैं । और ऊर्ध्वलोक में अर्थात् सौधर्म स्वर्गसे सर्वार्थसिद्धितक ८४९७०२३ चैत्यालय हैं । इन सब मंदिरों या चैत्यालयों में एक एक में एक एक सौ आठ प्रतिमाएं हैं। उन्हें चतुर पुरुष मन वचन कायसे तीनों समय नमस्कार करते हैं ।
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तीन कम नव कोटि मुनियोंकी संख्या ।
पांच किरोर तिरानवे लाख, हजार अठानवै दोसै छ जानै । जीव छठे गुणमें अघ सातमें, ग्यारसै छ्यानवै चार ठिकानै ॥
आठ नवै दस बारह चौदहैं, सौ उनतीस नवै परमानै ।
तेरमैं आठ हि लाख हजार, अठानवे पांच दोय बखान ॥३७॥