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(४६) सरसों कुंड छियाल, डेड़सौ थिति अच्छर वर ॥ इकतीस अंक पल कलपके, जंबु फलावटि दस वरन। सब बातबलय ग्यारै वरन,
धन्य जैन संसै हरन ॥ ३३ ॥ अर्थ-जिनवाणी के एक पदके अक्षर ग्यारह अंक प्रमाण अर्थात् १६३४८३०७८८८ हैं । और उन सम्पूर्ण पदोंकी संख्या दश अंक प्रमाण अर्थात् ११२८३५८००५ है। चौदह पूर्वोके अक्षरों की संख्या चौदह अंक प्रमाण अर्थात् ७०५६०००००००००० है । सम्पूर्ण द्वादशांगवाणीके अक्षरोंकी संख्या वीस अंक प्रमाण-१८४४६७४४०७३७०९५५१६१५ है । पर्याप्त मनुष्योंकी संख्या २९ अक्षर प्रमाण-७९२२८१६२५१४२६४३३७५९३५४३९५०३३६ है । पल्यकी गिनती ४५ अक्षर प्रमाण-४१३४५२६३०३०८२०३१७७७४९५१२१९२०००००००००००००००००० है । सरसों कुंडके सरसोंकी गिनती ४६ अंक प्रमाण१९९७११२९३८४५१३१६३६३६३६३६३६३६३६३६३६३६३६३६३६३६३६ है। संख्या १५० अंक प्रमाण है । इससे अधिक संख्याकी संज्ञा असंख्यात है । एक कल्प
१ इस अलौकिक गणितका जिसे विशेष ज्ञान प्राप्त करना हो, उसे जैनसिद्धान्तदर्पणके पृष्ठ ६४ में देखना चाहिये । यहां विस्तारके भयसे नहीं लिखा है।