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(२९) निर्वाणके तीस सागर पीछे विमलनाथका जन्म, उनके मोक्ष जानेके नौ सागर पीछे अनन्तनाथका जन्म, उनके मोक्षके चार सागर पीछे धर्मनाथका जन्म, उनके निर्वाणके पौनपल्य घाटि तीन सागर पीछे शान्तिनाथका जन्म, उनके मुक्त होनेके अर्ध पल्य वर्ष पीछे कुंथुनाथका जन्म, उनके मोक्षके हजार कोटि वर्ष घाटि पावपल्य पीछे अरनाथका जन्म, उनके मोक्षके हजार कोटि वर्ष पीछे मल्लिनाथका जन्म. उनके मुक्त होनेके चौवन लाख वर्ष पीछ मुनिसुव्रतका जन्म, उनके निर्वाणके छह लाख वर्ष पीछे नमिनाथका जन्म, उनके मोक्ष जानेके पांच लाख वर्ष पीछे नेमिनाथका जन्म, उनके मोक्ष जानेके पौने चौरासी हजार वर्ष पीछे पार्श्वनाथका जन्म और उनके निर्वाणके पाव हजार अर्थात् ढाई सौ वर्ष पीछे महावीर भगवानका जन्म हुआ । (जिस समय महावीर भगवानका मोक्ष हुआ, उस समय चौथे कालके तीन वर्ष साढे आठ महीना बाकी थे। ) तीर्थकरोंके इन अन्तराय समयोंका शाम सबेरे स्मरण करना चाहिये।
कर्मोंकी १४८ प्रकृतियां कौन २ गुणस्थानोंमें क्षय होती हैं ? सात प्रकृतिको घात, ठीक सातम गुणथान । तीनि आव नहिं होय, नवम छत्तीसौं भान ॥ दसमैं लोभ विदार, बारहैं सोल मिटावै। चौदहमैंके अंत, बहत्तर तेर खिपावै ॥
छप्पय ।