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कीलक और असंप्राप्तामृपाटिक ये छह संहनन हैं । इन छहों संहननवाले जीव मरकर यदि नरकोंको जायें, तो पहले नरकसे तीसरे नरकतक जाते हैं । असंप्राप्तामृपाटिकको छोड़कर शेष पांच . संहननवाले चौथे और. पांचवें नरकतक जाते हैं । असंप्राप्तामृपाटिकवाले तीसरे नरकसे आगे नहीं जाते हैं । कीलक और असंप्राप्तामृपाटिकको छोड़कर चार संहननवाले छठे नरकतक जाते हैं । कीलकवाले पांचवेंसे आगे नहीं जाते हैं । एक वज्रवृषभ नाराचवाले सातवें नरकतक जाते हैं । शेष पांचवाले सातवें नरकको नहीं जाते हैं। इसी प्रकार यदि इन छहों संहननोंवाले जीव मरकर स्वर्गको जावें, तो आठवें स्वर्गतक जाते हैं । . असंप्राप्तामृपाटिकको छोडकर शेष पांच बारहवें स्वर्गतक जाते हैं । असं० वाले आठवेंसे ऊपर नहीं जा सकते हैं । असं. और कीलकको छोड़कर बाकी चार सोलहवें स्वर्गतक जाते हैं । कीलकवाले बारहवेंसे ऊपर नहीं जा सकते हैं। नाराच वज्रनाराच और वज्रवृषभनाराच इन तीन संहननवाले नौग्रेवेयिकतक जाते हैं । अर्धनाराचवाले सोलहवेंसे ऊपर नहीं जा सकते हैं । वज्रनाराच और वज्रषभनाराच
___ १ हड्डियोंके एक प्रकारके बंधानको संहनन कहते हैं । जिसकी हड्डियां, वेष्टन, और कीलियां वनकी हों, वह वजवृषभनाराच संहननवाला है । जिसकी हड्डियां और कीलियां वनकी हों, वेष्टन वजके न हों, वह वजमाराचसंहननवाला है । जिसकी हड्डियां वेष्टन और कीलीसहित हों, वह नाराच संहननवाला है । जिसकी हाडियोंकी संधियां आधी कीलित हों, वह अर्ध नाराच मंहननवाला है । जिसकी हड्डियां परस्पर कीलित हों, वह कीलित संहननवाला है और जिसकी हड्डियां जुदी जुदी हों, नसोंसे बँधी हों-परस्पर कीलित न हों, वह असंप्राप्तासृपाटिका संहननवाला है ।