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कोमल पृथ्वीकायिक जीवोंकी उत्कृष्ट आयु १२ हजार वर्षकी है और खरभूकायकी अर्थात् रत्न पत्थर आदि, कठोर पृथ्वीकायिक जीवोंकी २२ हजार वर्षकी है । जलकायिकजीवोंकी ७ हजार, वायुकायिककी ३ हजार, तरुकायिककी १० हजार, पक्षियोंकी ७२ हजार, साँकी ४२ हजार वर्ष, अग्निकायिककी ३ दिन, शंख आदि दोइंद्रिय जीवोंकी १२ वर्ष, बिच्छू आदि तेइंद्रिय जीवोंकी ४९ दिन, भौंरा आदि चौइंद्रिय जीवोंकी ६ महीना, सरीसृप (पेटके बल सरकनेवाले) जीवोंकी ९ पूर्वीग, मच्छकी ( कर्मभूमियां मनुष्य और पशुऑकी भी) एक कोटिपूर्व, भोगभूमिया मनुष्यों तथा पशुओंकी तीन पल्य और देवों तथा नारकियोंकी उत्कृष्ट आयु ३३ सागरकी है।
नक्षत्रोंके तारे और अकृत्रिमचैत्यालय । षट पांच तीनि एक षट तीनि षट चारि, दो दो पांच एक एक चौ षट तीनौं गहे । नव चौ चौ तीनि तीनि पांच एकसौ ग्यारह, दोय दो बतीस पांच तीनि तारे ए लहे ॥ कृतिकादि ठाइसके सब दोसै इकताली, एक एकके ग्यारहसौ ग्यारै सरदहे । दोय लाख सतसठ हजार नवसै वायूँ, सबमैं चिताले प्रतिबिंब वानीमें कहे॥१००॥ अर्थ-कृत्तिकादि नक्षत्रोंकी संख्या २८ है और उनके