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इस तरह सम्यक्त्वका पाना बहुत कठिन है । इसको पा लेना कुछ लड़कोंका खेल थोड़े ही है ।
पुनः पंचपरावर्तन |
भावपरावर्तन अनंत जो करें हैं जीव, एक भावतें अनंत भव परावर्त हैं । एक भौसेती अनंत कालपरावर्त करें, काल अनंत खेतपरावर्त कर्त हैं | एक खेततैं अनंत पुग्गलपरावर्तन, पंच फेरीविषै आप मिथ्यावस पर्त्त हैं । . सातकौं विनास जिन्हें सम्यक प्रकास तेई, दर्व खेत काल भव भावतें निकर्त हैं ||७७ || अर्थ - जीव संसारमें मिथ्यात्वके वशीभूत होकर अनन्त भावपरावर्तन करते हैं और जितने समय में एक भावपरावर्तन होता है, उतने में अनन्त भवपरावर्तन हो जाते हैं । क्योंकि, भाव परावर्तनमें सब प्रकार के कर्मबंधका कारण आत्मभाव क्रमसे उत्पन्न होकर कर्म बाँधता है; किंतु दूसरे परावर्तनों में एक एक कर्मके भोगकी ही मुख्यता रहती है अथवा पुगलपरावर्तनमें प्रदेशबंध मात्रकी ही मुख्यता रहती है । क्योंकि एक समय में मिथ्यात्व भावसे जितने कर्म बँधते हैं, उनके क्षय करने के लिये अनन्त भवपरावर्तन करना पड़ते हैं और एक भवमें जो कर्म बँधते हैं, उनके दूर करनेको अनन्त
च० श० ८