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असातावेदनीयका बंध छट्ठे गुणस्थान तक और उदय चौदहवें गुणस्थान तक है ।
नपुंसक वेदका बंध पहले गुणस्थान में है, और उदय नववे गुणस्थानके चौथे भाग तक है ।
स्त्रीवेदका बंध दूसरे गुणस्थानतक और उदय नववें गुणस्थानके चौथे भाग तक है ।
संज्वलन लोभका बंध नवर्वे गुणस्थान पर्यन्त और उदय दश गुणस्थान तक है ।
अरति शोकका बंध छट्टै गुणस्थान तक और उदय आठवे गुणस्थान तक है ।
निद्रा प्रचलाका बन्ध आठवें गुणस्थानके पहले भाग तक और उदय बारहवें तक है ।
स्थावरका बंध पहले गुणस्थान में और उदय दूसरे गुणस्थान तक है ।
स, बादर और पर्याप्तका बंध आठवेंके छठे भाग तक: और उदय चौदहवें पर्यन्त है ।
प्रत्येकशरीरका बन्ध आठवेंके छठे भाग तक और उदय तेरहवें तक है ।
अस्थिर अशुभका बन्ध छट्ठे तक और उदय तेरहवें तकहोता है ।
स्थिर, शुभ और सुस्वरका बंध आठवेंके छठे भाग तक और उदय तेरहवें गुणस्थान तक है ।
सुभग और आदेयका बंध आठवेंके छठे भाग तक और