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________________ . (१०८) तक और उदय पांचवें गुणस्थान तक होता है। तिर्यंच गत्यानुपूर्वीका बंध दूसरे गुणस्थान तक और उदय मिश्र गुणस्थान छोड़कर चौथे गुणस्थान पर्यन्त होता है। ___मनुष्यगति और मनुष्यायुका बन्ध चौथे गुणस्थानतक और उदय चौदहवें गुणस्थान पर्यन्त होता है । तीसरेमें आयु बन्ध नहीं होता। एकेन्द्रिय, दोइंद्रिय, तेइंद्रिय और चौइन्द्रियका बंध पहले गुणस्थानमें होता है और उदय दूसरे गुणस्थानतक होता है । औदारिक शरीर और औदारिक अंगोपांगका बंध चौथे गुणस्थानतक और उदय चौदहवेंके अन्तपर्यन्त है । पंचेन्द्रियका बंध आठवें गुणस्थानके छठे भागतक और उदय चौदहवें गुणस्थान तक है। तैजस कार्माणका बन्ध आठवेंके छठे भागतक है और उदय चौदहवेंके उपान्त्य समय तक है। ज्ञानावरणकी ५ अन्तरायकी ५ और दर्शनावरणकी ४ प्रकृतियोंका बन्ध दशवें पर्यन्त और उदय बारहवेंके अन्त समय तक होता है। ___ यशः कीर्ति और उच्च गोत्रका बंध दशवें गुणस्थानतक और उदय चौदहवें गुणस्थानके अन्त तक है । सातावेदनीयका बंध तेरहवें गुणस्थान तक और उदय चौदहवें गुणस्थान तक है। . नीचगोत्रका बंध पहले गुणस्थानतक और उदय पांचवें गुणस्थान तक है।
SR No.090117
Book TitleCharcha Shatak
Original Sutra AuthorDyanatray
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granth Ratnakar Karyalay
Publication Year1926
Total Pages166
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Principle
File Size9 MB
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