________________
(१०७)
वज्रषभनाराचका चौथे गुणस्थानतक, वज्रनाराच, नाराच, अर्ध नाराच और कीलकका दूसरे गुणस्थानतक और असंप्राप्तामृपाटिकका बंध पहिले गुणस्थानमें है। और उदय अर्धनाराच, कीलक, स्फाटिकका सातवें गुणस्थानतक, नाराच, वज्रनाराचका ग्यारहवें तक और वज्रषभनाराचका तेरहवें गुणस्थानतक है।
निर्माणका बंध आठवें गुणस्थानके छठे भागतक और उदय तेरहवें गुणस्थानतक होता है। ___ अप्रशस्तविहायोगतिका बंध दूसरे गुणस्थानतक और प्रशस्तविहायोगतिका आठवें गुणस्थानके छठे भाग पर्यन्त होता है और उदय इन दोनोंका तेरहवें गुणस्थानतक होता है। ___ उद्योतका बंध दूसरे गुणस्थानतक और उदय पांचवें गुणस्थानतक होता है।
अगुरुलघु, अपघात, परघात और श्वासोच्छासका बन्ध आठवेंके छठे भाग तक और उदय तेरहवें तक होता है।
निद्रानिद्रा, प्रचलामचला और स्त्यानगृद्धिका बंध दूसरे गुणस्थानतक और उदय छठे तक होता है।
नरक आयु, नरक गति और नरकगत्यानुपूर्वीका बंध पहिले गुणस्थानमें होता है और उदय चौथेतक होता है। नरकगत्यानुपूर्वीका उदय सासादन और मिश्र गुणस्थानमें नहीं होता है। तिर्यंच गति और तिर्यंच आयुका बन्ध दूसरे गुणस्थान