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लिये उन १२ प्रकृतियोंको तेरहवें गुणस्थानकी ३० प्रकृतियोंमें मिलानेसे उनकी संख्या ४२ होगई । जिनमेंसे तीन साता, असाता और मनुष्यायु तो छठे गुणस्थानमें उदीरित होती हैं और शेष ३९ की तेरहवेमें उदीरणा होती है। बीचके सातवें, आठवें, नववें, दशवें, ग्यारहवें और बारहवेमें इन्हीं तीन प्रकृतियोंके कम हो जानेसे उदीरित प्रकृतियोंकी संख्या क्रमसे ७३, ६९, ६३, ५७, ५६, ५४, हो जाती है ।
हे भव्य, तुझे जानना चाहिए कि चौदह गुणस्थानोंमें यह उदीरणा ज्ञानके बलसे होती है । इस लिए ज्ञानका सम्पादन कर । चौदह गुणस्थानों में नाना जीवोंकी अपेक्षा १४८ प्रकृतियोंकी सत्ता।
_____ सवैया इकतीसा । पहले सौ अड़ताल दूजेमैं सौ पैंताल, तीजेमाहिं सौ सैंताल चौथेमैं अठतालसौ । पांचैं गुन सौ सैंताल छ? सातै आ3 नौमैं, दसमैं ग्यारमै उपसमी है ज्यालसौ ॥
आ नौमैं सौ अड़तीस दशमैं इकसौ दोय, बारमैं इकसौ एक आगें पंद्रे टाल सौ। तेरै चौदमै पिचासी सत्ता नास अविनासी, नौं लोक घन ऊरध राजू है सैंतालसौ ॥६३॥