SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 347
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ INDEX OF PRAKRIT STANZAS २६७ 5.42.1 | मत्तकोइलामहुर 4.83.5 | मत्तजलहर 6.20.42 | मत्तपिअमाहवी 7.27.1 | मत्तमपरपुष्छ 4.37.1 | मत्तमहुअमंडल 4.30.1 मत्तमहुअरितार 6.19.45 | मत्तवारिहरपंति 6.20.18! मन्नावि प्रिओ पहु तुह वेरि पिजयम कहं अपिअहु पहारिण पिउ आइउ निवडिउ पिच्छ पीवरमहा पुणरवि णिअरज्ज पेक्खिऊण गयण पेच्छंतहु नवमालिअ पेच्छ पाउसलच्छि प्रियमधुसंगमि प्रियहि मुहु अर फुडिअकेसर फुल्लंधुअधोरणीउ फुल्लिअलय निअवि फुल्लिआणेअकंकेल्लि फेडवि कुंकुमलेह बंभो हीरो कण्हो बहुवया रेवया बहुविहभावमुद्ध बहुविहसमरंगणि बहुहयखरखुर बाहो वेहो वग्गो बिंबालिउ भुवणु भसला दंसयंति भासासु विचित्तासु भीरु वि चंदडिओ भ्रूवल्लिं चावयं मई असरण तुहूं मणहरु तुह मुहु मणिकंचणरेहि मणिरयणपहा मत्तंबुवाह वरसं मत्तकोइलनाय 4.60.1 5.20.2 4.83.4 4.44.1 4.50.1 5.19.1 4.81.1 6.19.15 4.68.1 -7.66:1 6.20.38 4.63.1 6.20.52 6.20.19 4.39.1 6.20.41 7.14.1 6.20.53 5.26.1 5.25.1 4.64.1 5.18.3 | मयणविआरसमुद्द 6.19.22 मयणविलसि 6.19.35 | मयणविलासगिरि 5.19.2 | मयपरिपुट्ठघुट्ठ 6.20.30 मयवसतरुणि 6.19.31 मलयानिलु मलयज 4.83.6 मसिसब्बंभयारि 6.20.22 | महु कंतिण रणि 4.13.2 | महु दूसह विरह 7.59.1 महुरसु छुटिउ 4.74.1 | माणु म मेल्हि मायाविअहं 7.25.1 मा रे वच्च पहिअ 7.33.1 मालइकुसुमु न 7.3.2 मालइमालहिं 6.19.32 मिउ मलयसमीरणु 4.75.1 मुद्धइ गिजंतउ 4.12.1 | मुहसिरिकलाव 6.19.40 | मुहि करिवि मय 5.12.1 | मेल्लि माणु 6.19.18 | मेहयं नच्चंतं 6.19.41 | रणरणंति जत्थ । 7.70.1 | रमणिकवोलु कुरंग 6.19.11 | राई चंदकिरण 5.10.1 रेहइ चंदो 5.17.1 | रेहइ तरुणिअणु 6.20.14 6.19.27 7.53.1 6.19.39 4.59.1 6.20.17 6.19.5 5.13.1 4.43.1 6.29.1 4.67.1 6.19.12 6:19.28 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.090113
Book TitleChandonushasan
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorH D Velankar
PublisherSinghi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
Publication Year1961
Total Pages444
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy