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________________ २६८ Res तुह कर हहिं अरुणकंति लंघइ सायर ललिअविलासो लायण्णविभमं लुदु चंद लेहि वीण सो वित्तो वालो जहिं गजर वणफलमरसं चणलच्छिक वम्मी सरकं चण व वरजाइ सरतहुँ वि वायाला फरसा विज्जुलमेहमज्झि विरहरहक्क संतगृहं मयगलहं सकारए सिरसा सम्पत्ति सजया विजया समय मयगल समर हो अभि सयलसुरासुरिंद सयलाओ जाईओ सलु विदि सयवत्तयं सरसयरसुरहि सल्लइ पल्लव सवणनिहिअ Jain Education International छन्दोऽनुशासनम् । 6.20.11 | ससिणा रयणीए 5.8.1 | सहि पंकोप्पन्नु वि 6.20.9 | सहि वद्दलओ 7.5.1 | सहि विज्जुलअ 5.14.1 | सा तसु बेट्टिआ 5.23.1 | सा बाला तुह 6.19.6 सायरु रयणायरु 5.25.2 7.43.1 4.29.1 साहो चित्तणुओ सिंदूर अगुरुकुंभ सिद्धत्थपुलय सिरिकुमरवाल भूवइ 6.19.47 4.76.4 6,20,50 7.11.1 7.3.3 6.22.2 6.20.28 7.46.1 1.7.6A 6.20.29 | सुररमणीअण 2.157.2 | सुरवहुमहुअरि सुरसरितुंग 7.38.1 7.58.1 सो जयइ अजल 5.20.1 सो जलिअउ मय 4.20.5 | हंसि तहारउ 4. 73.1 | हंहो जुआय सिरिकुमरवाल मुंचसि सिरिमूलराय तिहुअण सिरिमूलराय तुह दिस सिरिवद्धमाणजिण सिरिसिद्ध रायनंदण सुंदरु तं कि सुणिव वसंत सु तव सुदु वइ 5.3.2 | अदु 7.18.1 | हयखुरखणि 4. 32.1 हरइ जम्मसय 4.90.1 हा खामोअरि 6.20.48 | हिंडइ साधण 4.87.9;5.27.2 | हेरंबो नीणो For Personal & Private Use Only 6.20.7 6.19.37 6.19.14 7.45.1 7.67.1 4.17.2 5.5.1 4.54.1 6,20,25 6.19.24 4.20.2 4.23.3 4.21.1 4.23.6 4.20.1 4.23.7 6.19.52 5.16.1 7.63.1 5.3.1 5.24.2 7.49.1 4.20.3 6.20.35 5.9.1 4.23.8 7.8.1 4.91.1 4.76.3 4.76.1 6,20.33 4.13.4 www.jainelibrary.org
SR No.090113
Book TitleChandonushasan
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorH D Velankar
PublisherSinghi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
Publication Year1961
Total Pages444
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
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