________________
INDEX OF SANSKRIT STANZAS
२६१
2.241.1 .. 2:48.1
2.362.1 1.16.30
1.3.3 4.7.2
:
2:280.1
विविधमणिमेखला विशदवृत्तलब्धा विशालभाललोल विशालवंशा विषमात्र एष विहर नितम्बबिम्ब वीक्षितोऽप्येष वीणानिनादानु वीरजिनेन्द्र वीर तवासिपथेन वीरवरेण्य रण वैरिश्चानां तथोच्चा व्योमनि सागरतीरे शङ्खक्षोदरचा. शत्रौ मित्रे हर्पा शरदायातेयं शशधरपादा शशधरवदनं शशिवदना शस्त्राभ्यासे रति शास्त्राम्यासे व्यसन शिलीमुखततिं शीतरुजान्योऽन्य शीतरुजा विधुत . शुष्कशिखरिणि शूलं तूलं तु गाद शृणु परमोपदेश शैवलालीनिराशा शोभते धनुर्लतेव शौर्यमृगेन्द्र चुलक्य श्रय विशुद्धधिया श्रीचौलुक्य किम
2.391.1 | श्रीचौलुक्य क्षितिप
2.89.1 | श्रीमत्पार्श्वनाथ .. 2.397.1 | श्रूयतां नृपकुमार
3.60.6 | श्रेयांसि बहुविनानि 2.96.1 | षः सर्वगो ब्याचलः 2.235.1 | संप्रति शिली
3.36.1 | संप्राप्ते मधुसमय : 2.129.1 | संप्राप्तेऽस्मिन् जगत् ___3.5.1 | संवृत्तोऽयं संध्याकालः
2.265.1 | सकलासुमतां रक्षायै ___4.8.1 | स किं वद नीच 1.16.12 | सखि भवति भव 2.75.1 | स जयति कुमारपाल: 3.66.1 | सततनमत्पुरंदर 2.249.1 | सततविकाससमु 2.151.1] सत्कर्णिकारचित
3.70.2 | सत्यं रम्याभोगा 2.220.1||
| सदलंकृतैः 2.32.1 | सद्गुणरत्नरोहण
4.4.3 संतोषधनानां 2.305.1 | सन्ध्यान्ते प्रतिदिश
| सपदि बलिनुपान् 2.77.1 | समदनागेन्द्राणां 2.281.1 समशत्रुमित्रता
5.17.2 समाधिपयोधि 1.16.22
समुद्धृतधरित्री 2.297.1 समुल्लसद्दशन 2.58.1 सम्यग्ज्ञानचरित्र 3.24.1 | सरसिजवक्त्रा 2.368.1| सरसि सरसिर्ज 2.331.1 | सरितां कमितुः स्तब 3.59.2 | सर्पविपेन्द्रभर
2.300.1 2.266.1
2.98.1 2.116.1 2,224.1
8.7.1 2.350.1 2.183.1 2,231.1
2.74.1
3.47.1 .2.347.1
2.190.1 2.340.1
2.63.1 2.228.1 ... 2.66.2
2.172.1 2.229.1 2.198.1
2.134.1
.
2.109.1
2.168.1 -2.307.1 2.284.1 2.148.1
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org