SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 334
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २५४ 3.44.1 3.26.1 3.71.1. 2,298.1 2.103.1 2.179.1 2.211.1 4.6.4 4.5.6 2.9.1 2:279.1 2.382.1 3.39.12 इह वासकसज्जिका उक्ता वाचं नो दत्ते उज्ज्वलनिशाकरा उत्तमं घनाविन उत्तुङ्गस्तनकलश उप्रेत्रिदश उत्फुल्लाम्भोजाक्ष्याः उत्साहहेला उदयं लब्ध्वा उदयाचलवप्र उदयाद्रेः प्रसरन् उद्दाममारुतहत उपगीतिकुरङ्ग उपगीतिगन्ध उपदिश्यते तव उपलतृणखरूप उर्मीभङ्गीनिर्मिमाणा उष्णिहीव संसृतौ एक एव क्षणो एकैव भवति एकोऽपि बालचूतः एतदभिनवभाख एतस्या गण्डतल एतासां राजति सुम एवमपरार्धसंख्या एषा भवतः समरां ऐक्षवकार्मुक कौसुम ओजसंख्या यदा कङ्कालमाल कङ्केल्लिस्कन्धे कुसु कथय किमियं लक्ष्म कनकरुचिर्धन छन्दोऽनुशासनम् । 3.17.1 | करकलितनिशित 2.262.1 | करटिस्रवन्मद 2.64.1 कर्मविशेषात् 3.23.1 | कलयति कोकिले 1.16.5 | कलयति पाण्डुर 2.197.1 | कलयति वैरि 2.386.3 | कलितकलङ्कशिति कष्टां जनस्त्वदालो 3.63.1 | कस्य कृते कृतपुण्य 3.56.2 कस्य नात्र 2.336.1 | कान्तिरिन्दुकौमुदी 4.5.5 | काप्युग्रीवा प्रास्थित 4.7.1 | कामिनीभिः सुखं 4.7.3 | कामेभ्यो निस्पृहं 4.1.3 काष्ठे वा कनकेऽथवा 2.263.1 | कीर्तिरिह भवतः 2.135.1 | कीर्तिस्तव वल्लभा 2.53.1| कुटिलतां धृतवती 2.251.1| कुन्दयष्टिं हृष्टः ___4.8.5 | कुन्दे विचकिले 4.5.1 कुमारपाल देव 2.118.1 | कुम्भभुवो जयतीह 1.16.15 | कुरु करुणां वितर 1.16.16 | कुरुते तरसा न 4.1.2 कुर्वतेऽविवेकादति 2.120.1| कुवलयमुदं व्या 2.264.1 | कुवलयेक्षणे 1.6.2 | कूजत्कोयष्टिकोला 2.87.2 कृत्वा जगत्रयजयं 2.302.1 केतकीसंस्पृष्टैः 2.293.1 | केवलस्य न गिरेः 2.145.1 केष्वप्यखर्वगर्वात् - 2.34.1 2.146.1 2.62.2 3.54.1 , 2.270.1 2.121.1 2.57.1 2.67.1 2.127.1 2.277.1 2.131.1 2.73.1 2.295.1 - 2.43.1 1:16.10 2.261.1 2.40.1 3.59.5 2.346.1 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.090113
Book TitleChandonushasan
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorH D Velankar
PublisherSinghi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
Publication Year1961
Total Pages444
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy