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INDEX OF SANSKRIT STANZAS
कैश्चिञ्चार्वाकैः कोकिलवधूनां कौतुकमात्रमेव क्रियया हीनं कचित्काले प्रसरता कचित्तु पदमध्ये क्वचिदपि चूतलता कचित्पङ्कशङ्का कापि खैरं कर क्षणविध्वंसिनि क्षीणतन्तुर्मद्विरहे क्ष्माभृत्पुङ्गव कोश खङ्गे पानीयमाल्हा गगनाङ्गणे कुमुद गणानुद्दिष्टगा गता लाक्षारागद्युति गाढाक्रान्ता कुचयुग गीतीनां त्रयमिथं
- 2.37.1
4.8.3 2.252.1
2.28.1 2.388.3 2.272.1
2.193.1 ... 4.7.4 .2.360.1
2.291.1
3.73.1
2.328.1 | चपलाकेकरनयना 2.260.1 चपले प्रयातु 2.342.1 | चलितैर्घटोद्भव 2.31.1
| चित्ते सरला 3.39.17 चिरवहदरघट्ट
p.7 | चुलुककुलजल 2.375.1 | चुलुक्यनृपते त्वयि 2.396.1
चूताङ्कुरा 2.376.1
चौलुक्यनरेश्वर 3.39.16 | चौलुक्येन्द्र त्वं 2.16.1
छत्रायमाणधरणेन्द्र 2.321.1
छन्दोविचितेः 1.16.13
जगतां विभुः पृथु 2.126.1
जगणविहीना
जगति जगत्रयोप .. 8.7.2 2.338.1
जनयति महतीं 2.275.1
जन्मस्नाने स चरम जम्भारातीम
जय जिन 2.6.1
जयति विजितान्य 2.160.1
जयिनि दिगन्तात् 2.84.1
जर्जरसारिमध्य 2.175.1
जातास्तव द्विषत् 2.233.1
जिनचरणसरसि 2.209.1
जिन त्वदीयशास 3.31.1 जिनपतिगुरुपद 2.388.5 | जिनपतिपदपङ्कज 2.137.1
जिनः स वः 2.356.1 जिष्णुर्वित्तेशो 4.2.1
| जैनेन्द्रं मुखं 7.72.2 | ज्वलति सुभग .. 3.13.1 | ज्वालं ज्वालं सुभग . 4.5.7 | ततिरिह करिणां
- 1.1.2 2.242.1
4.1.1 2.253.1
3.44.4 2.290.1 1.16.19
2.8.1 4.24.1 3.70.3
4.8.6
गीर्धीः
2.288.1
2.47.1 2.384.1
गुणलवेऽपि सुभग गुरुगुणचिता ग्रामेऽत्र पाप कलहंस घटयसे ज्यया घनतमसि नष्टान् । धनपरिमलमिलदलि घनपरिमलसार घोराकारा घनघोष चक्षुःसौन्दयं मृग चतुरम्बुराशि चतुर्मात्रादिकत्रिंशत् चन्द्रो मत्तकरी चपल न कस्य
3.25.4 2.139.1 2.388.4
2.10.1 2.177.1
2.30.1 2.247.1 2:3041 2.86.1.
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