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________________ उम्दोऽनुशासनम् । • 4.58 / गौ सुमतिः २५५ सान्ते दोनावली सा प्रभा छैः सा मणिमाला चैः साकू चैः सिंहविक्रान्तं ढजैः 2. 182 स्जनन्या एला 2. 190 स्जसा अक्षि 2.244 स्जस्गा माला 7.39 रजस्ला न्सज्गा 2.99 | जौ गो विमला 2. 131 | जौ सौ गः कुटजम् 3. 2 जौ सौ प्रमिताक्षरा 3. 3 जौ स्जौ गो नन्दिनी 2.162 | जौ रजौ त्रौ बुद्बुदम् सिः सौम्या सिल्गा विदुषी सिल्गा नभभ्रा सिल्गा भिगगा सस्तो सुगौ वा सुप्रतिष्ठायां रो गौ सूगौ तरुणीवदनेन्दुः सैतवस्य चतुर्षु सो गौ घनपङ्क्तिः सोऽन्त्यलोनः कुङ्कुमः 2.267 | स्तौ नौ स्रौ गौं महा I 2. 23 | नज्नभ्साः सुरभिः 2.333 | भौ गुरुमध्या स्भौ न म्यौ लगौ 3. 38 2.31 स्मनलगा विमला 7.3 स्मौ सूचीमुखी सो मदनः 2.14 | स्यौ विमला सौ रमणी सौ पैर्विच्छित्तिः सौ उभौ जो गावति सौ नौ मोगो वेल्लिता सौ मस्तारम् सौ गौ मही Jain Education International : 2.35 | स्यौ जौ गः सुदन्तम् 4.43 स्यौ स्यौ केकिरवम् 2.289 | स्रौ गो दीप्ता 2. 284 | स्लगा सिल्गा इला 2.98 | स्लगाः सृर्मृगाङ्कमुखी 2.85 हखो ऌजुः For Personal & Private Use Only $2.21 2.252 2.96 1,126 8.45 2.66 2,212 2,176 2.210 2.320 2.354 2.316 2.37 2.336 2.151 2.50 2.46 2.217 2.191 2.71 3.26 3.27 1,5 www.jainelibrary.org
SR No.090113
Book TitleChandonushasan
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorH D Velankar
PublisherSinghi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
Publication Year1961
Total Pages444
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
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