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________________ INDEX OF SUTRAS. Jain Education International षचताः षचौ भ्रमरः षचता उपात् षचताश्चापौ वाप्सरो दाश्विर्वा महा षचाषचिदाः कुमुदम् षचिषा युज्यज ओजे षचीदाश्चन्द्रलेखा षचीषचदाः पवन षचुता उपात् बचुदा उपात् षचूतैः कृतान्याया षचुपाः शिखा षचूदैः कृतेष्वेषु षचृता रथ्यावर्णकं षचौ काञ्चनलेखा जौ सिः समात् पावाचे तु तीगाः शुभात् षपचतदा अरविन्दकम् षलदलचदगाद्ना ' षवीर्युग्जो लीव पृश्वीः समे जो लीव ..6.27 मरम् 7.34 षो गणद्विपदी 5.25 षोऽजचः षपौ रासावलयम् 4.68 संकृतौ तौ सौ भौ 7.33 स आद्यस्य द्वितीयादिना 7.8 | सजरगा भर्नगगाः 7.6 सज्या गौ सारणी 7.26 स द्विमात्रः 7.16 सन्ध्यादौ कडवकान्ते च 18 7.21 सप्त कला दलौ 7.46 स भ्रमरपदं त्रजैः ... 7.70 | समकृती राश्यूना - 4.73 | समानेनैकादिः 5.35 | समार्धमर्धसमम् 4.30 | समेऽन्तरात् 4.70 समैः पादैः समम् 4.71 समैः पादैः सर्वसमा 4.57 सर्वजातीनामपीति 4.39 | सर्वादिमध्यान्तग्लौ 4.64 | सर्वेष्वाद्यलादू गो षक्षुगौ द्वितीयषष्ठौ षश्वर्हरिणीपदम् षभृः कलकण्ठीरुतम् 7.12 सचेनर्कुटकम् 7.53 | साः कुसुमास्तरणः 4.55 | साज्गगाः स्भर्या 4.12 सांगीः सभ्रल्गाः षौ खण्डिता षष्ठं विनेष्टपैर्विचित्रा 4.2 | सा तान्ता सालभञ्जिका षष्ठे न्ले लात् षाचुता भ्रमरद्रुतं षाचूता मत्तमातङ्ग षाचूदाः शतपत्रम् षाचूजे जः 7.37 सा तुपा दीपिका 7.56 | सा तुर्यपा मुग्धिका 7.54 | सा त्रेधा षट्पदी 4.33 साधे न्ले छै रचिता 5.37 | षिचीदा उपगन्धर्वं 4.54 षिश्चीः स्थविरासनकम् 6.28 षीचताः कमलाकरम् For Personal & Private Use Only ३५१ 7.42 7.31 7.13 7.11 7.60. 5.26 2.365 3.44 3.7 2.153 1.9 6.1 7.69 7.5 8:13 1.4 1.14 4.27 1.13 6.23 2.157 1.2 3.61 4.72 2.395 3.17 3.14 4.62 4.81 4.78 6.2 4.65 www.jalnelibrary.org
SR No.090113
Book TitleChandonushasan
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorH D Velankar
PublisherSinghi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
Publication Year1961
Total Pages444
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
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