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सिरि भूवलय
साप सिख पोत दिल्ली प्रन्थ से निकलकर ऊपर लिखा हुमा मरिणत पद्धति के क्रम से महान् मेघा । बहत्तर शब्द निकल पायेंगे । ७३ शब्द नहीं हो सकते हैं कोई ७३ निकाल कर वाही नहीं कि सामान्य पढ़े लिखे हुए मामूली आदमी भी आसानी से भूवलय , रले तो वह पुनरुक्त हो जाता है इसलिए भगवान महावीर की वारणी जितनी प्रय जैसी हादशांग वाणि को आसानी से निकाल कर दे सकता है। अब चार। छोटी हो उसमें पुनरुक्त दोष नहीं पाता है। पर कहे जैसा अगले पाने वाले बझार भंग आप लोगों को प्रासानी से निकालने वाली विधि निम्न प्रकार उत्सर्पिणी काल में जितने तीर्थकर होंगे उनकी सब दिव्य ध्वनि में निकलकर बतायेगे इससे आप लोगों को समझ में आयेगा।
प्राने वाले अक्षर का भंग इस भूचलय में अभी भी मिल जायगा, यही अनेकान्त ४ अक्षर के भंग
| सत्य है। ग्राम लक
इसी विधि से आगे बढ़ते हुए छः अक्षर "कमल" इस पाब्द को अपुन१) १२३४ था म ल
क २ ) २३४१ म ल क पा रुक्त रूप से घुमाते जाएं तो १२० दाब्द निकलकर पाएगा ऊपर कहे जैसा ही ३) ३४१२ ल क मा म
। इसको भी मान लेना । इसी विधि से आगे बढ़ते हुए सात अक्षर "कमल दल ५) २३२५ क ल म पा
रज" इस शब्द को अपुनरुक्त रूप से घुमाते पाए तो ७२० शब्द निकलकर ३२१४ क ल म प्रा.
31 कपल घुमात प्राए ता ७२०
पाएगा उसमें पहिले व अन्त के दोनों शब्द पुनरुक्त रीति से पा जाते १३४२ वा ल क म! म पालक
। है इसलिए वह निकाल देने से ७१८ माषा रह जाती है, वह इस प्रकार है:१) ३४२१ ल क म आ १०) २१४३ मा क ल ११) १४३२ ा क ल म १२) २१३४ मा ल क वह क्रम इस प्रकार है१३) ३२४१ ल म क पा
४२३१ के मल या १२४२४३४४४५४६ = ७२०-२७१८ और ८ अक्षर १५) २३१४ मल पा
क १६) १३०४ मा ल म काकी शब्दराशि को निकालकर आपके सामने रखना हमारी बुद्धि के बाहर है १०) ४३ ० २ क ल ा म १८) ३ १४ २ ल पाक म ऐसा रहने में इसके ऊपर का ६-१०-११-१२ इसी रीति से बढ़ते हुए अक्षरों १६) २४३१ ला कम २०) ०२४३ मा म क ल के स्वरूप को मिलाते हए शब्द राशि बनाते जाना इस काल में बहुत कठिन २१) २४३ ० म क ल ा २२) २०२४ ल मा म क है इसी विधि से ऊपर कहे हुए ५४ अक्षरों का एक शब्द निकालना हो तो २३) ४०२३ क पा मल २४) ०४२ ३ ा क म ल। इस अध्याय में पाये हुए ८४ स्थान हैं जो ८४ स्थान में प्रायी हुई प्रक
इस चार प्रक्षर के समस्त अंक की राशि में सम्पूर्ण विश्व के अंक ! राशि ५४ अक्षरों का समूह है उस राशि से अपुनरुक्त रूप से ५४-५४-५४-५४ राशि आगये है कोई बाहर बाकी नहीं रह जाता है।
ऐसा अक्षर निकालते पाएं तो ८४ अन्य आजायगा ०००००००००००००००आगे के उत्सपिरिण काल में तीर्थकर रूप में होने वाले समंतभद्रादि
०००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००० महान मेधावी बड़े बड़े प्राचार्यों ने भी अपने प्रत्य में या भविष्य में होने वाले 100०००००००००००००००००००००० जब गिनती में शून्य पा गया तो
अमर तीबर इस चार प्रक्षर | प्राचार्य जी का कहना सत्य है ऐसा मानना ही पड़ेगा। ऊपर लिखा हुमा क्रम रूपी मूवलय में अब ही मिल जाता है। इसी तरह
अर्थात् ८४ स्थान प्रतिलोम कम है । "कमल दल" ये पांच अक्षर हैं
६४४६३४६२४६१ इस रीति से ११ अंक तक प्रागए तो ५४ कपर के अनुसार पांच अक्षरों को अपनुदक रूप से फिराते मायें सो बार हो जाता है।