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________________ १७० सिरि भुवलय सर्वाध सिद्धि संघ बैंगलोर-दिस्ती सम विषमांक गणित के द्वारा निकालकर देने वाला है ।७२१ है बेटो ! यह करुणामय साम्राज्य है ।६३' गम्भीरता के साथ अन्तर सत्य को निकालकर देनेवाला है ।७३। हे बेटो ! यह सम्पूर्ण शत्रु को नाश करनेवाला मंगल है।६४ : : कर्म नाश करने की युक्ति या तरीका बतलानेवाला है ।७४। है बेटी ! यह परमात्मा का भूवलय अंक है ।१५॥ सम विषमांक कूट को बतलाने वाला है ।७५॥ हे बेटी ! सम्पूर्ण पृथ्वी के जीवों का काव्य है ।। यमक के अन्तर सत्य को बतलाने वाला है १७६। हे बेटी ! यह गुरु का साम्राज्य है ।। कर्म बंध को नाश करनेवालो बिन्दी को निकालकर देनेवाला है ।७७। हे बेटी ! यह कर्म रूप शत्रु को जोते हुए महापुरुषों का अंका है। सम् विपाकलका को निगालने पाया है। है बेटी ! यह परमात्मा का महान गम्भीर अंक है IEL : श्रम को नाश करनेवाला अतिशय अंकवाला है । हे बेटी ! यह सम्पूर्णपृथ्वी के ऊपर रहने वाले जीवों का सौभाग्य यह सम्पूर्ण कर्म को नाश करने वाली विद्या है ।८०) है।१०० सम शून्य काव्य नामक यह भूवलय है ।। हे बेटी ! यह अर्हत भगवान का साम्राज्य है !१०१॥ पदाक्षर अंक के भाव को लाने वाले अंकों की विवि को समझानेवाले हे बेटी ! यह शत्रु को जीतकर वश किया हुआ अंक है ।१५ तथा समस्त प्रकार के द्रव्यागम श्रुति विद्या अंक का यह अंक नामक हे बेटी ! यह भगवान के गम्भीर वचन हैं ।१०३। पद ही मंगल पाहुड है ।। हे बेटी ! यह सम्पूर्ण पृथ्वी के जीवों के चारित्र की उत्पत्ति का समय नौ पद बद्ध अक्षर विद्या की इच्छा करनेवाले भव्य जीव को शीघ्र ही है।१०४॥ अतिशय कल्याण मार्ग को कहनेवाले प्रागम सिद्धान्त के अवयव में रहनेवाले हे बेटी ! यह सरस्वती देवी का साम्राज्य है ।१०५ .. . विषय को कहते हैं ।८३। ___ हे बेटी ! यह कर्म रूपी शत्रु को जीतेनेवाले महान पुरुषों का कियात चरित्र, में लिखा हुआ सरस्वती देवी के द्वारा वाणी को भगवान ने । है ।१०६। समझकर अर्हतदेव पर्याप उसी अक्षर को जो भगवान की केवल ध्वनि के द्वारा हे बेटी ! यह भगवान के द्वारा सम्पूर्ण जीवों को दिया हुमा गम्भीर निकला है उसो अतिशय अक्षर को हे बेटी ! तुझे मैं समझाऊंगा' तू ! सुन । दान है ।१०७। 1८४i हे बेटी ! यह परमात्म नामक सिद्ध भूवलय है ।१०८ ! ... हे बेटी! ये करुणामय को उत्पन्न करनेवाले अक्षर हैं 11 हे बेटी ! यह देव और मनुष्य के द्वारा बन्दनीय भूवलय है । १०२ हे बेटी ! यह प्रक्षर शत्रु को नाश करने वाले हैं।०६। हे बेटी ! यह परमात्म सिद्ध भूवलय है ।११०।। हे बेटो ! यह महंत भगवान का अतिशय है ।। हे बेटी ! यह पंच गुरुओं का भूवलय है ।११।। हे बेटी ! यह पृथ्वी का मंगल रूप काव्य है ।। हे बेटो ! यह करोड़ों कोडा कोडी सागर के प्रमाण इलाका, शुचि, है बेटी ! यह करुणामय अक्षर अंक है ।। । उसकी लम्बाई, चौड़ाई, पद इत्यादि इस नवकार मंत्र से मानेवाले और अनेक हे वेटो ! यह शत्रु को जीतनेवाला सिद्धान्त है । । तरह के अक्षरों के गरिणत को तथा ढक्का, मृदंग मादि के झंकार शब्दादि हे बेटी ! यह परमात्मा का अतिशय धवलयश है 18१ | अक्षरों के अंक प्रादि तथा योग्य रेखागम, वर्णागम काव्य इत्यादि इस द्रव्यागम हे बेटी | यह पृथ्वी का मंगलमय पाहुए है ।। 1 से प्राप्त होते हैं ।११२-११३१
SR No.090109
Book TitleSiri Bhuvalay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvalay Prakashan Samiti Delhi
PublisherBhuvalay Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Principle
File Size10 MB
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