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________________ - सिरि मधलय सर्वार्थ सिद्धि संघ रंगलौर-विक्सी जन्म में ही इसकी उपलिब्ध होगी । २१ । श्री धर्मनाथ भगवान के सिंह को ऊँचाई ४५ धनुष प्रमाण है । ३७ । . वर्द्धमान जिन भगवान भी एक प्रकार से सिंह हैं । २२ । श्री दिव्य शांतिनाथ भगवान के सिंह की ऊँचाई ४० धनुष प्रमारण इस सिंहासन प्रातिहार्य से वेष्टित हुआ यह भूवलय ग्रन्थ है। २३।। है। ३८। . अंब इस सिंह की ऊंचाई आदि के बारे में बतलाते हैं। श्री कुंथुनाथ भगवान के सिंह को ऊँचाई ३५ घनुष प्रमाण है । ३६ । भगवान समवशरण में एक मुख होकर भी चार मुसा वाले दीख पड़ते श्री अर्हनाथ भगवान के सिंह की ऊँचाई ३० घनुप प्रमाण है । ४०।। हैं उसी प्रकार यह प्रासन रूप सिंह भी एक होकर भी चार चार मुंह दीखा श्री मल्लिनाथ भगवान के सिंह की ऊंचाई २५ धनुष प्रमाण करता है। इस सिंह की ऊँचाई भगवान के शरीर प्रमाण होती है। २४ ।। आदिनाथ भगवान के चरण कमलों के नीचे रहने वाले सिंह की ऊँचाई श्री मुनिसुव्रत तीर्थकर के सिंह की ऊंचाई २० धनुप प्रमाण है । ४२ । पांच सौ धनुष की थी । २५ ॥ श्री नमिनाथ भगवान के सिंह की ऊँचाई १५ धनुष प्रमाण है । ४३। घण्टा के बजाने से जो टन टन नाद होता है उसको परस्पर में गुणाकार श्री नेमिनाथ भगवान के सिंह की ऊंचाई १० धनुष प्रमाण है। ४४॥ करते जाने से जो गुणनफरन पाता है वही श्री अजितनाथ भगवान के साढ़े चार श्री पाश्र्वनाथ भगवान के सिंह को ऊँचाई ६ हाथ प्रमाण है। ४५/ सो (४५०) धनुष सिह का प्रमाण है । २६ । अन्तिम तीर्घकर श्री महावीर भगवान के सिंह की ऊंचाई ७ हाथ तत्पचात् श्री संभवनाथ भगवान का ४०० धनुष श्री अभिनन्दन का प्रमाण ह। १६ । साढ़े तीन सौ (३५०) वनुष तथा श्री सुमतिनाथ भगवान् का ३०० धनुष सिंह, उपयुक्त २४ तीर्थंकरों में से प्रथम तीर्थकर श्री आदिनाथ भगवान से का प्रमाण है। २७ । लेकर २२ व तीर्थकर श्री नेमिनाथ भगवान पर्यन्त धनुष की ऊँचाई है । ४७ । थो पद्मप्रभ भगवान् का २५० धनुषप्रमाण सिंह की ऊँचाई है । २८।। उपर्युक सभी घङ्क गुणाकार से प्राप्त हुये हैं । ४८ । श्री सुपापर्वनाथ भगवान का दो गौ ( २०० ) धनुष ऊँचा सिंह का श्री पार्श्वनाथ भगवान तथा महावीर भगवान के सिंह की ऊँचाई का प्रमाण है । २६ प्रमाण धनुष न होकर केवल हाय ही है । ४६ । आठवें श्री चन्द्र प्रभु भगवान के सिंह की ऊंचाई १५० धनुष प्रमाण इस अंक को साघन करने वाला भूवलय ग्रन्थ है। ५० । प्रागे भूवलय के कोष्ठक बंधांक में मिलने वाले अक्षर को दाशमिक .नौवें श्री पुष्पदन्त भगवान के सिंह की ऊँचाई १०० धनुष प्रमाए। (दशम) क्रम से यदि गणित द्वारा निकालें तो पाठवें तीर्थंकर श्री चन्द्रप्रभु है।३१) पर्यन्त जो सिंह का वर्णन किया गया है बह निर्मल शुभ्र स्फटिक मणि के समान श्री शीतलनाथ भगवान के सिंह की ऊँचाई १० धनुष प्रमाण है । ३२।। है । इस प्रकार है। इस प्रकार इस स्फटिक मरिणमय वर्ण के सिंह का ध्यान करने से ध्याता श्री.श्रेयांसनाय भगवान के सिंह की ऊँचाई घनष प्रमाण है। 301 को अभीष्ट फल की प्राप्ति हाता है। ५१ ।। श्रो वासुपूज्य भगवान के सिंह की ऊँचाई ७० धनुष प्रमाण है । ३४। इसी गरिएत को आगे बढ़ाते जाने से भगवान पुष्पदन्तादि दो तीर्थकर श्री विमलनाथ भगवान के सिंह की ऊँचाई ६० धनुष प्रमाण है ।३५श के सिंह लांछन का वर्ण कुन्द पुष्प के समान है ५२ । श्री अनन्त नाथ भगवान के सिंह की ऊंचाई ५० धनुष प्रमाण है ।३।। श्री सुपार्श्वनाथ तथा पाश्वनाथ भगवान के सिंह का वर्ण हरित है, श्री
SR No.090109
Book TitleSiri Bhuvalay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvalay Prakashan Samiti Delhi
PublisherBhuvalay Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Principle
File Size10 MB
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