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________________ (२) राग पंचम आज गिरिराज के होत है अतुल कौतुक महा नाभि के नंद को लेगये इंद्र मिलि, धरे, शिखर सुन्दर सखी, मनहरन ॥ जगत के चंद को, जन्ममंगल हाथ-हाथन भरे, छीरसागर सहस अरु आठ गिन, सीस सुर ईशके, सुरसुंदरी, २ करन । आज. ॥ घरे, बरन । एकही बार जिन, सुरन - कंचन नीर निरमल करन लागे रहस रससों अरी, देहि ताली वंशी नचत गीत गावैं देव- इंदुभि एकसी इंद्र हर्षित हिये, नेत्र अंजुलि किए, झरन । 4 तृपति होत न पिये, रूप अमृत दास 'भूधर' भनै, सुदिन देखे बनै, कहि थके लोक लख, जीभ न सकै वरन ॥ ३ ॥ आज. ॥ ढरन ॥ १ ॥ आज. ॥ भरी, करन । सजैं, भरन ॥ २ ॥ आज. ॥ बजैं, बीन परत, आनंदघन की हे सखी! आज पर्वतराज के सुंदर शिखर पर मन को लुभानेवाला अनुपम, महान कौतुक (तमाशा) / उत्सव हो रहा है । इन्द्र आदि इस जगत के चन्द्र, . नाभिराय के पुत्र श्री ऋषभदेव को उनका जन्मकल्याणक मनाने हेतु वहाँ लेकर गए हैं। पंक्तिबद्ध देवगण अपने-अपने हाथों में क्षीरसागर के निर्मल जल से भरे एक सौ आठ सुवर्ण कलश धरकर एकसाथ प्रभु के मस्तक पर कलश करने लगे हैं। देवांगनाएँ भक्ति रस से भरे गीत गा गाकर, ताली बजा-बजाकर नृत्य कर .. भूधर भजन सौरभ
SR No.090108
Book TitleBhudhar Bhajan Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTarachand Jain
PublisherJain Vidyasansthan Rajasthan
Publication Year
Total Pages133
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devotion
File Size2 MB
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