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गुणस्थान भाव व्युच्छिति भाव
अभाव मिथ्यात्वा मिथ्यात्व. (31) (कुमति, कुश्रुत, I (1) (औपशमिक अभव्यत्ब)
कुअवधि ज्ञान चक्षु, सम्यक्त्व, औपशमिक अचक्षु दर्शन चारित्र, केवलज्ञान, केवल भायोपशमिक पाँच दर्शन, क्षायिक पाँच लब्धि, मनुष्यगति, | लन्धि, क्षायिक सम्यक्त्व, क्रोध, मान; माया, क्षायिक चारित्र, मति, लोभ कषाय, स्त्रीलिंग, श्रुत, अवधि, मनः पर्यय पुल्लिंग, नपुंसक ज्ञान, अवधि दर्शन, लिंग, कृष्ण, नील, सायोपशमिक सम्यक्त्व, कापोत, पीत, पद्म, क्षायोपशमिक चारित्र, [शुक्ल लेश्या,
संयमासंयम) मिरहात्य, असंघम असिद्धत्व, जीवत्व,
भव्यत्व, अमव्यत्व) सासादन |(3) कुवान | 129) (उपरोक्त (21) (उपरोक्त 19 भावो
अभावों में से मिथ्यात्व में मिथ्यात्व एवं एवं अभव्यत्व को कम | अभव्यत्व को जोड़ने पर करने पर शेष 29 भाव | 21 भाव हो जाते है।) रहते हैं।
मिश्र lor
(30) (चक्षु अचक्ष अवधि दर्शन क्षयोपशमिक पांच लब्धि, मनुष्य मति, कोध, मान, माया, लोभ चार कषाय, सीलिंग, पुल्लिंग, नपुंसक लिंग, कृष्ण, नील, कापोत, पीत, पद्म, शुक्ल लेश्या, असंयम, असिद्धत्व, अज्ञान, जीवत्व, भव्यत्व, 3 मित्र ज्ञान)
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|(20)(उपशम सम्यक्त्व , | उपशम चारित्र, क्षायिक पाँच लन्धि, केवल शान, केवल दर्शन, सायिक सम्यक्त्व |क्षायिक चारिख, मति श्रुत, अवधि, मनः पर्यय मान, मायोपशमिक सम्यक्त्व, क्षायो. चारित्र, संयमासयम, मिध्यात्व - 3 मिश्र ज्ञान +3 कुज्ञान)