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गुणस्थान भाव व्युच्छिति
अविरत (4) (अशुभ
लेश्या 3, अर्गलम)
देशसंयत (1) (संयमासंयम)
प्रमत्त संयत
अप्रमत्त
संयत
0
3 ( क्षायो.
सम्यकत्व,
फीत पद्म
लेश्या )
भाव
23 ( सम्यक्त्व 3, ज्ञान 3, दर्शन 3,
काय मित्र नि 35 मनुष्य गति, कषाय 14, लिंग 3, लेश्या 6, असंयम, अज्ञान, असिद्धत्व, जीवत्व, भव्यत्व)
30 (सम्यक्त्व 3, ज्ञान, दर्शन, क्षायो लब्धि 5, मनुष्य गति, कषाय 4, लिंग 3, शुभ लेश्या३, संयमासंयम, अज्ञान असिद्धत्व, जीवत्व,
भव्यत्व)
(31) उपरोक्त 30 भावों में से
संयमासंयम कम
करके सरामचारित्र
और मनःपर्यय ज्ञान जोड़ देवें ।
छठवें गुण के समान
(61)
अभाव
17 ( औपशमिक चारित्र, शायिक 5 लब्धि, न
दर्शन,
क्षायिक चारित्र, मन:पर्यय
ज्ञान, कुज्ञान 3, सरांग चारित्र, संयमासंयम, | मिथ्यात्व, अभव्यत्व )
20 (औपशमिक चारित्र, सायिक भाव 8, कु ज्ञान3, मनः पर्ययज्ञान, सराग, चारित्र, मिथ्यात्व अशुभ लेश्याउ, असंयम अभव्यत्व)
19 (उपशम चारित्र, क्षायिक भाव कु ज्ञान, संयमासंयम, मिध्यात्व, अशुभ लेश्याउ, असंयम, अभव्यत्व)
19 (पूर्वोक्त)