________________
मुणस्थान भाव व्युच्छित्ति भाव
अभाव १. | (७) [पुल्लिंग, | (28)[औपशमिक (25) (औपशमिक चारित्र, अनिवृत्ति-सीलिंग, सम्यक्त्व, क्षायिक पाँच क्षायिक लब्धि करण नपुंसकलिंग] शाका, मति माता केपलदान सवेद
अवधि, मनःपर्यय ज्ञान |सायिक चारित्र, कुमति चा, अचा, अवधि कुश्रुत, कुअवधि लान, दर्शन, क्षायोपशमिक मायोपशभिक सम्यक्त्व पाँच लब्धि, सराग संयमासंयम, तिर्यम्च, चारित्र, मनुष्यगति, नरक, देव गति, कृष्ण, शुक्ल लेश्या, तीन नील, कापोत, पीत, पद्म लिंग, चार कवाय, लेश्या असंयम, मिथ्यात्व अज्ञान असिद्धत्व, अभव्यत्व) जीवत्व, भव्यत्व
9. 3) अनिवृत्ति-(कोष, मान, करण माया कषाय) अवेद
125) [औपशमिक |(1) [ौपशमिक चारित्र सम्यक्त्व, क्षायिक
| पाँच शायिक लन्थि, सम्यक्त्व, मति, श्रुत,
| केवल ज्ञान, केवलदर्शन, अवधि, मनःपर्यय ज्ञान
सायिक चारित्र, कुमति चल, अचा, अवधि
| कुश्रुत, कुअवधि ज्ञान दर्शन झायोपशमिक
सायोपशमिक सम्यक्त्व, पांच लब्धि, सराग
संघमासंयम, तियश्च, | चारित्र, मनुष्यगति
नरक, देव गति कृष्ण, | शुक्ल लेश्या, चार
नील, कापोत, पीत, पद्म कवाय, अज्ञान,
लेश्या, तीन लिंग, असियत्व, जीवत्व,
असंयम मिथ्यात्व, भव्यत्व)
अभव्यत्व
(26)