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raha ani विश्वं कुरुते कमलासनः । तदा संतिष्ठते क्वासौ सृष्टिनिर्मापणक्षणे ॥ १०३ ॥
यदि समस्त विश्व को ब्रह्मा बनाता है तो वह सृष्टि के निर्माण के क्षण कहाँ बैठता है ?
यत्र स्थित्वा करोत्येष तदेव स्यान्महीतलम् | तत्रापि शेषभूतानि तत्कर्तृत्वमपार्थकम् ॥१०४॥
जहाँ पर स्थित होकर यह सृष्टिनिर्माण का कार्य करता है, वही पृथ्वी होता है । वहाँ पर शेष भूत भी होते होंगे । अतः (सृष्टि) कर्तृत्व व्यर्थ है ।
सृष्टिनिर्मापणे कस्मादानीतो भूतसंग्रहः ।
कानि वा तत्र शस्त्राणि योग्यानि शिल्पि कर्मणि ॥ १०५ ॥
सृष्टि निर्माण के समय कहाँ कहाँ से भूतों का संग्रह लाता है अथवा शिल्पिकर्म के योग्य वहाँ शस्त्र कौन कौनसे हैं ?
विनोपकरणेस्तेन विश्वं केभ्यो विधीयते ।
पृथिव्यास्तु कर्तृत्वं मिथ्या तेजामसंभवात् ॥ १०६ ॥
उसने बिना उपकरणों के विश्व किससे बनाया । पृथिव्यादि से बनाना निरर्थक है, क्योंकि वे असम्भव हैं ।
भूम्यादिपंचभूतानां यदि पूर्वमसंभवः ।
संभाविनां कर्ता संभविनां तु का क्रिया ॥ १०७॥
पृथ्वी आदि पंचभूत यदि पूर्व में असंभव थे तो असंभवों का कोई कर्त्ता नहीं होता । जो संभव है, उसमें क्रिया कौनसी होगी ?