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जब देवताओं ने उसका मजाक बनाया, तब वह उन पर अत्यन्त क्र द्ध हुआ । वह मरुद्गणों (देवसमूह) का भक्षण करने के लिए गधे का मुख धारण करता हुआ घूमने लगा।
दृष्ट्वा तान क्षभितान सर्वा श्छिन्नं रुद्रेण तच्छिरः । प्रत्यजन् विषयासक्ति प्रविष्टो नवराजकम् ॥६६
उन सब मरुद्गणों (देवसमूह) को क्षुभित देखकर रुद्र ने उसका सिर काट दिया। वह विषयासक्ति को त्यागकर वन पंक्ति में प्रविष्ट हो गया।
तिलोत्तमेति विभ्रान्त्या सेविता वच्छभल्लिका।
तयोस्तत्राभवत्पुत्रो जाम्बुवानिति विश्रुतः ॥१००॥ तिलोत्तमा की भ्रान्ति से उसने भालू का बछिया का सेवन किया। उन दोनों के जाम्बवान् नाम से प्रसिद्ध पुत्र हुग्रा ।
यस्यास्ति महती शक्तिविश्वकर्तृत्व संभवी ।
स्वल्पतराय राज्याय किमसौ तप्यते वृथा ॥१०१॥ विश्व का निर्माण करने की जिसकी बहुत बड़ी शक्ति है, वह थोड़े से राज्य के लिए क्यों व्यर्थ दु:खी होगा ?
न शक्नोत्यात्मनस्त्यक्तं यो दुःखं विरहांत्मकम् ।
कथं स्याद्विश्वकर्तृत्व स्वामित्वं तस्य वेधसः ॥१०२॥
जो विरहजन्य दुःख को नहीं त्याग सकता, उस ब्रह्मा का विश्वकर्तृत्व में स्वामित्व कैसे हो सकता है ? १ अत्यजद्धि । २ वनराजिकां. ख । ३ जाम्बुवंतोऽति ख