________________
जी जैन ऐडवोकेट जयपुर एवं श्री नन्दकिशोर जी सा० अन जयपुर के नाम उल्लेननीय है । हम सभी का हार्दिक स्वागत करते हैं । इसी तरह करीब ४० महानुभाव अकादमी के विशिष्ट सदस्य बने हैं। सभी माननीय सदस्यों का में हार्दिक स्वागत करता है। इस तरह ८०० सदस्य बनाने की हमारी योजना में हमें ३५ प्रतिशत सफलता मिली है। मैं आशा करता है कि भविष्य में अकादमी को सगाज का और भी अधिक सहयोग मिलेगा।
हम चाहते हैं कि अकादमी के करीब १०० सेट देश-विदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के हिन्दी विभागाध्यक्षों को निःशुल्क भेंट किये जा जिससे उन्हें जैन कवियों द्वारा निबद्ध साहित्य पर शोध कार्य कराने के लिये सामग्री मिल सके । इसलिये मैं समाज के उदार एवं साहित्यप्रेमी महानुभायों से प्रार्थना करूंगा कि वे अपनी ओर से पांच-पांच सेट भिजवाने की स्वीकृति भिजवाने का कष्ट करें।
प्रस्तुत भाग के माननीय सम्पादकों-सा नेमीचन्द जी जान इन्दौर, डा भागबन्द जी भागेन्दु दमोह एव धीमती सुशीला जी बाकलीवाल जयपुर का भी अाभारी हूँ जिन्होंने प्रस्तुत भाग का साइन कर मार के काम पर भहयोग दिया है। अन्त में मैं अकादमी के संरक्षकों थी अशोककुमार जी जैन देहली, पूनमचन्द जी सा० जैन झरिया एवं रमे पाचन्द जी सा जैन देहली, अध्यक्ष माननीय सेठ कन्हैय लाल जी सा० जन मद्रास, सभी उपध्यक्षों, सचालन समिति के सदस्यों एवं विशिष्ट सदस्यों का प्राभारी हूँ जिनके सहयोग से अकादमी द्वारा साहित्यिक कार्य सम्भव हो रहा है । डा० कासलीवाल सा० को में किन शब्दों में धन्यवाद दूँ, वै तो इसके प्राण है और जिनकी सतत साधना से पह कष्ट साध्य कार्य सरल हो सका हैं।
रतनलाल गंगवाल
८ लोयर राउडन स्ट्रीट
कलकत्ता २०