SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 7
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कार्याध्यक्ष की कलम से श्री महावीर ग्रन्थ अकादमी के चतुर्थ भाग-भट्टारक रत्नकीति एवं कुमुदचन्द्र को मनियमों के हाथों में देते हुए मुझे असीव प्रसन्नता है। प्रस्तुत भाग में प्रभुन दो राजस्थानी कवियों का परिचव एवं उनकी कृतियों के पाठ दिये गये हैं लेकिन उनके माघ साठ से भी अधिक तत्कालीन कवियों का भी संक्षिप्त परिचय दिया गया है। हममे पता चलता है कि संवत् १६३१ से १७०० तक जैन कवियों ने हिन्दी में कितने विधाल साहित्य की सर्जना की थी। प्रस्तुत भाग के प्रकाशन से इतने अधिक कविनों का एक साथ परिचय हिन्दी साहित्य के इतिहास के लिये एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जावेगी। इस प्रकार जिस उद्देश्य को लेकर अकादमी की स्थापना की गई थी उसकी ओर वह प्रागे बढ रही है । सन् १९८१ के अन्त तक इराके अतिरिक्त दो भाग और प्रकाशित हो जावेंगे ऐसा मुझे पूर्ण विश्वास है । २० भाग प्रकाशित होने के पश्चात् सम्पूर्ण हिन्दी साहित्य के अधिकांश अज्ञात, अल्प ज्ञात एवं महत्त्वपूर्ण जैन कवि प्रकाश में ही नहीं आदेंगे विन्तु सम्पूर्ण हिन्दी साहित्य का क्रमबद्ध इतिहास भी तैयार हो सकेगा जो अपने आप में एक महान् उपलब्धि होगी। प्रस्तुत भाग के लेखक मा० कास्नुर चन्द कासलीवाल हैं जो अकादमी के निदेशक एवं प्रधान सम्पादवा भी हैं। डा० कासलीवाल समाज के सम्मानीय विद्वान् है जिनका समस्त जीवन साहित्य सेवा में समर्पित है। यह उनकी ४१वीं कृति है। अकादमी की सदस्य संख्या में निरन्तर वृद्धि हो रही है 1 तीसरे भाग के प्रकाशन पश्चात् श्रीमान् रमेशचन्द जो सा० जैन देहली ने प्रकादमी के संरक्षक बनने की महती कृपा की है उनका हम हृदय से स्वागत करते हैं। श्री रमेशचन्द ज समाज एवं साहित्य विकास में जो अभिरुचि ले रहे हैं अकादमी उन जैसा उदार संरक्षक पाकर स्वयं गौरवान्वित है। धर्मस्थल के श्रादरणीय श्री डी० बीरेन्द्र हेग ने भी अकादमी का संरक्षक बन कर हमें जो सहयोग दिया है उसके लिये हा उनका अभिनन्दन करते हैं। इसी तरह गया निवासी श्री रामचन्द्रजी जैन ने उपा ध्यक्ष बन कर अकादमी को जो सहयोग दिया है हम उनका भी हार्दिक स्वागत कर हैं। संचालन समिति के नये सदस्यों में सर्वधी ताराचन्द जी सा० फिरोजप मिरका, महेन्द्रकुमार जी पाटनी जयपुर, हीरालाल जी रानीवाला जयपुर, नाथूला
SR No.090103
Book TitleBhattarak Ratnakirti Evam Kumudchandra Vyaktitva Evam Kirtitva Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages269
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & Story
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy