________________
भट्टारक रत्नकीति एवं कुमुदचन्द्र : व्यक्तित्व एवं कृतित्व
१२. पाश्र्वनायगीत १३. गौतम स्वामी चौगाई १४. संकटहर पार्श्वनाथनी विनती १५. लोणपानावनी बिनती १६. जिनवर बिनती १७. गुरुगीत १८, भारतीगीत १९. जन्म कल्याणक गीत २०, अधोलाड़ी गीत २१. शीलगीत २२. चिन्तामरिण पार्श्वनाथ गीत २३. दीवाली गीत २४. चौबीस तीर्थकर देह प्रमाण चौपाई २५. बलभद्रनी विनती २६. नैमिजिन गीत २७, बणजारागीत २८. गीत २९. बिमिन्न राग रागनियों में निमित पर
इस प्रकार कुमुदचन्द्र की जो कृतियां राजस्थान के विभिन्न शास्त्र भण्डारों में उपलब्ध हु हैं उनका नामोल्लेख किया जा सका है। कवि की सभी रचनामें राजस्थानी भाषा में हैं जिन पर गुजराती का पूर्ण प्रभाव है । वास्तव में १७वीं शताब्धि में गुजराती एव राजस्थानी भिन्न-भिन्न नहीं हो सकी श्री । इसलिये कवि ने अपनी कृतियों में दोनों दी भाषाओं का प्रयोग किया है । इनकी रचनाओं में गीत अधिक है जिन्हें ये अपने प्रवचन के समय श्रोताओं के साथ गाते थे । नेमिनाय के तोरण द्वार पर प्राकार बराग्य धारण करने की अद्भुत घटना से ये अपने गुरु रस्नकीति के रामान बहुत प्रभावित थे इसलिये इन्होंने भी नेमि राजुल पर कितनी ही रचनाए एवं पद लिखे हैं उनमें नेमिनाथ बारहमासा, नेमिश्वर गीत, नेमिजिनगीत मादि के नाम उल्लेखनीय है। कवि नी कुछ प्रमुग्न रचनाओं का परिचय निम्न प्रकार है :...
१. भरत बाहुबलो छैन
भरत पाहुबलि एक खण्ड काव्य है, जिसमें मुख्यतः भरत और बाहुबलि के युद्ध का वर्णन किया गया है । भरत चत्राति को सारा भूमण्डल विजय करने के