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________________ भट्टारक रत्नकीति [ ४६ [ भट्टारक रस्तकीति धर्म गुरु धे । उपदेश देना, विधि विधान कराना एवं से का संचालन करना जैसे उनके प्रमुख कार्य । लेकिन सबसे अधिक विशेषत उनकी काव्य शक्ति थी । वे गुजरात प्रदेश के रहने वाले थे । गुजराती उनकी मात भाषा थी। लेकिन हिन्दी में उन्होने भक्ति पत्र गीत लिखे और तत्कालीन समाज जिन भक्ति के प्रति आकर्षण पंदा किया । रत्न कीति का जन्म गुजरात प्रान्त में घोध मगर मे हुया था। उनके पिता हब जातीय श्रष्टी देवांदास २ | माता का नाम सहजलदे था । इनके जन्म के समय के सम्बन्ध में कोई जानकारी नहीं मिलती लेकिन इतना अवश्य है कि माता ने ऐसे उत्तम पुत्र को पाकर अपने प्राण को धन्य मान था। पुर्व जन्म पर घर में ही नहीं पूरे नगर में उत्सव प्रायोजित किये गये थे प्रो. माता-पिता भविष्य के सुनहाने स्वप्न देखने लगे थे । बालक बड़ा होनहार था इसलिए उसको पढ़ने लिखने में देर नहीं लगी यौर थोड़े ही समय में उसने प्राकृत एवं संस्कृत का अध्ययन कर लिया । गुजराती उनकी मातृभागा थी मोर हिन्दी उस महज रूप में सीख ली श्री। थोड़े ही समय में वह अपनी बुद्धि चातयं ॥ विनय शोलता के कारण सबका प्रिय बन गया। संवत् १६३० में अभयमन्दि मट्टारका गादी पर विराजमान थे । अभय नम प्राचार्य कुन्दकुन्द की परम्परा में होने वाली मलसंघ, सरस्वति समाज एवं बलात्कार गएरा पात्रा में होने वाले भट्टारक लक्ष्मीचन्द के प्रशिणय एनं अभयनन्दि के शिष थे। अभयदि का उस समय कागी प्रभाव था और वे दिगम्बर गच्छ के शिरोम थे । गुरणों के सागर एवं विद्या के केन्द्र थे । घटदारक अभयनन्दि को जब बालर रत्नकोति की बुद्धि के सबन्ध में जानकारी मिली तो उसको अपना शिष्य बना के लिए पातुर हो गये । एक दिन अकस्मात ही जब अभयादि का घोषा नगर विहार हया तो वे बालक को देखते ही बड़े प्रसन्न हुए और उसकी बुद्धि एवं वार चातुर्य में प्रभावित होकर उसे अपना णिध्य बना लिया । १. राजस्थान के जैन सन्त-व्यक्तित्व एवं कृतिस्व-पृष्ठ संख्या १२७ से १३४ ।। २. हुमर वंशे विबुध विख्यात रे, मात सेहजलधे वेवोदास तात रे । कुवर कलानिधि कोमल काय रे, यह पूजे जेम पातक पलाय रे ॥
SR No.090103
Book TitleBhattarak Ratnakirti Evam Kumudchandra Vyaktitva Evam Kirtitva Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages269
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & Story
File Size4 MB
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