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________________ २४ खेतसी १५. भट्टारक धोरचन्न धीरचंद्र १७वीं पाताब्दी के प्रतिभा सम्पन्न विद्वान थे। व्याकरण एवं न्यायशास्त्र के काण्ड नेता थे। संस्कृत. प्राकृत, गुजराती एवं राजस्थानी पर इनका पूर्ण अधिकार था। ये भ० लक्ष्मीचंद्र के शिष्य थे । अब तक इन की पाठ रचनायें उपलब्ध हो चुकी हैं जिनके नाम निम्न प्रकार हैं (१) वीर चिन्लास' फाग, (२) संबोध सत्तायु (३) जम्बू स्वामी बेलि, (४) नेमिनाथ रास, १५) जिन प्रांतरा (६) चित्तनिरोध कथा, (४) सीमंधर स्वामी गीत एवं (८) बाहुबलि बेलि । वीर विलास फाग एक खन्ड काव्य है जिसमें २२वें तीर्थ कर नेनिनाध की जीवन घटना का वर्णन किया गया है। फाग में १३३ पद्य हैं । जम्बूस्वामी बेलि एक गुजराती मिथित राजस्थानी रचना है। जिन आंतरा में २४ तीर्थंकरों के समय यादि वर्णन किया किया है। संबोध सत्ताणु एक उपदेशात्मक गीत है जिसमें ५३ पद्य हैं। चित्तनिरोधक कथा १५ पद्यों की एक लघु कति है इसमें भ. वीरचंद्र को "लाड नीनि शृगार" लिखा है। नेमिकुमार रास की रचना सं० १६६३ में समाप्त हुई थी यह भी नेमिनाथ की वाहिक घटना पर आधारित एक लगु कुति है। कवि का विस्तृत परिचय अकादमी के किसी अगले भाग में दिया जावेगा। १९. खेतसी स्खेतसी का दूसरा नाम खेतसिंह भी मिलता है। अभी तक इनकी तीन कुतियां प्राप्त हो चुकी है जिनके नाम हैं नैमिजिनंद व्याहनो, नेमीपवर का बारह मासा, एवं ने मिश्वर राजुलकी लहुरि । राजस्थान के एवं अन्य शास्त्र भंडारों में प्रभी कवि की और रचनायें मिलने की सम्भावना है । नेमिजिनंद व्याहलो को एक प्रति दि० जंन मंदिर फतेहपुर (शेखावाटी) के तथा दूसरी जयपुर के पाटोदी के मंदिर के शास्त्र भंडार में संग्रहीत है। खेतसी की रचनायें भाषा एवं शैली की दृष्टि से उल्लेखनीय रचनायें हैं। ये सत्रहवीं शताब्दी के अंतिम चरण के कवि थे । ने मिजिनंद व्याहलो इनकी संवत् १६९१ की रचना है । २०. मजित ब्रह्म अजित संस्कृत के अच्छे विद्वान थे। ये गोलशृंगार जाति के श्रावक थे। इनके पिता का नाम वीरसिंह एवं माता का नाम पीथा था। ब्रह्म अजित
SR No.090103
Book TitleBhattarak Ratnakirti Evam Kumudchandra Vyaktitva Evam Kirtitva Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages269
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & Story
File Size4 MB
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