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पूजो जिन मुनिसुनत सदा ।
धनुष बीस तनु कलि कांति ।
सेवो ममि नमि तस चरण ।
रोग सोग नव प्रावे कदा ॥
पन्नर चाप शरीर सु हेम ।
जेह नामे नासे भय भ्रांति ॥ २२ ॥
पूजो पद नेमीश्वर तरणा ।
महावीर बंदू
सात हाथ सोहे
चोबीसे
सेवक जन में शिव सुख करन ॥
ए
उंच पणे दश धनुष मुस्याम !
पामो अविचल
afare सहू समरो जिन पास ।
वरण भस्म लो जयना क्षेम || २३ |
प्रेह कठी
गौतम नामि
गौतम नांमे
उच प दीसे नव हाज |
तु पणा ।
काय कला दीसे अभिराम ॥ २४
जिम पहत सहू मननी श्रास ॥
हरीत वरण दीसे जगनाथ ।। २५ ।। त्रि
काल ।
जिस मेटे भन जग जंजाल ||
गौतम स्वामी चौपई
जस तनू ।
हेम वरण शोभे प्रति घ ॥ २६ ॥ जिनवर नमो ।
जिस संसार विषे नवि भभो ॥
सुखनी खाणि ।
कुमुदचन्द्र कहे मीठी
( ५३ ) श्री गौतम स्वामी चौपई
लियो गौतम नाम |
जिम मन वंचित
पाप
गौतम
नासे
गौतम
पलाय ।
नामि
वारिण ।। २७ ।।
सी काम ||
मावठिजाय ॥ १ ॥
रोग |
नामे सुन्दर भोग ॥