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________________ २१४ पूजो जिन मुनिसुनत सदा । धनुष बीस तनु कलि कांति । सेवो ममि नमि तस चरण । रोग सोग नव प्रावे कदा ॥ पन्नर चाप शरीर सु हेम । जेह नामे नासे भय भ्रांति ॥ २२ ॥ पूजो पद नेमीश्वर तरणा । महावीर बंदू सात हाथ सोहे चोबीसे सेवक जन में शिव सुख करन ॥ ए उंच पणे दश धनुष मुस्याम ! पामो अविचल afare सहू समरो जिन पास । वरण भस्म लो जयना क्षेम || २३ | प्रेह कठी गौतम नामि गौतम नांमे उच प दीसे नव हाज | तु पणा । काय कला दीसे अभिराम ॥ २४ जिम पहत सहू मननी श्रास ॥ हरीत वरण दीसे जगनाथ ।। २५ ।। त्रि‍ काल । जिस मेटे भन जग जंजाल || गौतम स्वामी चौपई जस तनू । हेम वरण शोभे प्रति घ ॥ २६ ॥ जिनवर नमो । जिस संसार विषे नवि भभो ॥ सुखनी खाणि । कुमुदचन्द्र कहे मीठी ( ५३ ) श्री गौतम स्वामी चौपई लियो गौतम नाम | जिम मन वंचित पाप गौतम नासे गौतम पलाय । नामि वारिण ।। २७ ।। सी काम || मावठिजाय ॥ १ ॥ रोग | नामे सुन्दर भोग ॥
SR No.090103
Book TitleBhattarak Ratnakirti Evam Kumudchandra Vyaktitva Evam Kirtitva Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages269
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & Story
File Size4 MB
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