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________________ २०२ नेमिजिन गीत सरस्यो ते मन जल जल झो, जल जड थईज रहे । दीवे पडेय पतंग मरे परिण दीवो ते न लहे ।। ३ । प्रेम भरी जोतो चन्दनि हरषे मनस्यु चकोर । ते चांदलडो चितन जाणे, पिंग-धिग नेह निठोर ॥ ४ ॥ विकसे कमल दिवाकर देखी, ती मने न धरं । मोर करे प्रतिसोर सनेहे. मेह न नेह करे ।। ५ ॥ काया मन भाया प्राणी ने, जीवें रहीं बलगी। जीव जतें सटके झटकीने, ते नाखी अलगी ।। ६ ।। नाद निमित मरे मृग गहेलो, नाद निगुण निगरोल । त मांटह मन राखों रुयड़ा, कुमुदचन्द्र ना बोल ॥ ७ ॥ राग पन्यासी गौत : (४०) सखि किम करिये मन धीर रे, नेमि उज्जल गिरि जई रह्या हो रे हां ॥ १ ॥ जूउ नाथ नीउरनी पर रे, विरा बांके किम परहरी हारे हां ।। २ ।। मन हुती मोटी पास रे, नाथ निरास करी गयो ।। ३ ।। सखि कहे ज्यो सांची वात रे, मोह राखयु मां बोलस्थो ॥ ४ ॥ कुणे कीष एह ' काम रे, तोरण जई पाछा बल्या ।। ५ ।। घरों किम न करी मन लाज रे, छोकर बादी सीकरी ॥ ६ ॥ जेणें रहती मूकी मात रे, वचन न मान्यु तात नु ॥ ७ ॥ तो कुरण प्रहमारी पांत रे, फोकट झाझू झूरीये ॥ ८ ॥ हवे घरीये संयम भार रे, जिम मन वांछित पामीये || ६ | जय जिनवर तु पासीस रे, कुमुदचन्द्र ना नाय हा रे हां ।। १० ।। ( ४१ ) नेमि जिम गीत बचन विवेक वीनवे वर राजुल राणी । साभलिये प्रिय प्रेमस्यु क मधुरी वाणी ॥ १ ॥ फिम परणेवा पानीमा सहु यादव मेली । तोरण थी किम चालियो रथ पाछो वेली ॥२॥
SR No.090103
Book TitleBhattarak Ratnakirti Evam Kumudchandra Vyaktitva Evam Kirtitva Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages269
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & Story
File Size4 MB
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