SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 201
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १८४ पद एवं गीत राग कल्पारा; (१३) चेतन चेतत किउंचावरे। विषय विषे लपटाय रझो, हा दिन टिम छीजत जान पायरे !! १ ।। तन धन योवन अपल सपन को, योग मिल्यो जेस्यो नदी नाउ रे ।। काहे रे मूड न समझत प्रज', कुमुपचन्द्र प्रभु पद यश गाउ रे ॥ २ ॥ राग कल्याण धरी: थेई थेई येई नृत्यति अमरी, धुथरी सुधमकार । भभरी अमर गण नचावे । सगम धुनि सुसप्त स्वर विराज सग रंग। तान मान मिलित वेणु बंसरी बजावे ॥थई।। १ ।। घुघुमि धुधुमि ध्वनी मदंग चंग तालवर उपांग । श्रवण अति सोहावे ।। जय जिनेश नत नरेश शची सुरचित चार वेण । __देश देश कुमुदचन्द्र, वीर ना गुण गावे ।।थेई।। २ । राग कल्याण पर्चरी : वनज वदन रुचिर रदन काम कोटिरूप कदन । श्रुणु सुवचो रटति राज नन्दनी ।। वनज' ।। १ ।। स्वीकृतं यदि तज्यते यद्भवति कि कुल धर्म एष इति । मुदा निधान तदनु मन्द स्कंदीनी । कृपा कुप बिनत भूप प्रिया धुनानु गलतां । कुमुदचन्द्र स्वामी मुदा सुधा स्पंदनी ॥ २॥ राग कल्याण चर्चरी : श्याम वरण सुगति करण सर्व सौख्यकारी ॥ इन्द्र चन्द्र मानन्ध वन्द चार चचरी की चुबित चरणार'द पाप ताप हारी ।।श्माम।। १ ।। सकल विकट संकट हरन हेस तट । सुहर्ष कारण शेष अंक धारी ।। पास परम पास पूरी कुमुदचन्द्रसूरी। जय जय जिनराज तुभववारि राशि तारी ।।श्याम।। २ ॥
SR No.090103
Book TitleBhattarak Ratnakirti Evam Kumudchandra Vyaktitva Evam Kirtitva Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages269
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & Story
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy