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नेमिनाथ का द्वादश मासा
भाषाढ़ मास :
मास प्रासाद सोहामणो जी धन बरसे घोर अंधकार जी। नीदयें नीर बहे घणा वारु मोर करे किंगार जी ।। १ ।। मंदिर प्रानो मोहन मुझ उपरि घरिय' सनेह जी एकलड़ी धरि किम रहु माहरी पल पल छोजे देहजी ॥ २ ॥
सावन मास :
श्रावण नाले सरवड़ा त्यारि थर थर धूजे शरीर जी । राति अंघारि भूरता किम करी मनि धरी धीर बी।
मंदिर ।। ३ ।। मापन मास:
भाद्रबड़ो भरि गाजियो लवे बीजली वारी बार जी ।
त्यारि सांभरे थारो धार जी त्यारि समिरे प्राण प्राधार जी ॥४॥ प्रासोज भास :
पासो दिवस सोहामणो, नहीं कादवनो लवलेश जी।
वाटलड़ी रलिया मणी, किम नाविया नेम नरेश जी ॥५॥ कात्तिक मास :
कातिय विन दिवालिना सखि घरि-घरि लील विलास जी ।
किम कर कंतन प्रावियों हस्यु' करिये घरि वासि जी ।। ६ ।। मंगसिर मास :
मागशिरे मन नवि रहे. किमरि मोकल' संदेस जी।
मनि जाणू जे जई मिल, घरि योगण करो वेस जी ।। ७ ।। पोष मास :
पोसिउ सपड़े घणी पीउडे माग्यो तप सोस जी।
कोणस्युरोस घरी रहुँ, करमने दीजे दोस जी ॥ ८ ॥ माथ मास :
माहि न पाणी मोहनी. क्रिम निकोर थया यदुराय जी । प्र में पधारो पम्हणा, हूं लागु ९ लालन पाय जी ।।६।