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________________ १६६ जीन सेहजे विद्या सीखीयी, कोई सकल कला गुण जाणोरे । योवन बेस विराजतां, कांई तेजे जीत्यो भाग रे || सो० ॥ ७ ॥ एक समें सुत देखीने नामि राजा करे विचार रे । रिषभ कुंवर परगावीयो, , जिन सफल थाये अवतार रे || सो० त्यारि बोल्यां नाभि नरेन्द्ररे तेडीय मन्त्री श्राणंदरे । म मनें एलो उमाहरे कीजे रिषभ विवाह ॥ ६ ॥ जो जो कन्या सुगुरण सुहृपरे, इम कही रह्या भूप रे । वचन चवें परधान रे, सांभलो चतुर सुजाए रे ।। १० ।। कद्र महाकछ रायरे, जेहनू जग जस गायरे । यशोमति सुनन्वर की सुन्दरता : ऋषफ विवाहलो तस कुतं श्ररी रूपे सोहेरे, जोतां जन मन मोहेरे ।। ११ ।। सुन्दर वेरणी विशाल रे, अधर शशि सम भाल रे । नयन कमल दल छाजेरे, मुख पूरण चन्द्र राजे रे ॥ १२ ॥ नाक सोहे दिलनु फूल रे, प्रधर सुरंग तगू नहीं मूल रे । धन धन कनक कलश उतंग, उदरे राजे श्रीबली भंग रे ॥ १३ ॥ बाहुलता लांबी लेह केरे, हाथे रातडि रुही झल केरे । 1 कुछ कदली सरखी चंगरे, पगपानी अलतानी रंग रे ॥ १४ ॥ रूपे रम्भ हवी रे, जेहने तोले रति पनाबे रे । प्रथम यशोमति नाम रे, बोजी सुनंदा गुण भभिराम रे ॥ १५ ॥ तेणे जइ विनबीया राय रे, हरयां अंतेर परिवार रे, ॥ ८ ॥ तेने रिवभ कुंअर परणाबोरे, मोकली मांस नरत करावो रे । एह विचार सभा मन भाव्योरे ततक्षरण वाह दूत चलावो रे ॥ १६ ॥ T वात सांभलता हरष न माय रे । सज्जन कोधो जय जय जयकार रे ॥ १७ ॥ कीधू विवाह वचन प्रमाण रे, चरतें प्राप्यु कुलट बान रे । येहेलो दूत जइने आव्योरे पाणी प्रहरण वषामणी लाब्योरे || जय जय रत्न कीरति मुनिन्द्ररे, पाठ कमल रवि कुमुदचन्द्र रे ॥ १८ ॥
SR No.090103
Book TitleBhattarak Ratnakirti Evam Kumudchandra Vyaktitva Evam Kirtitva Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages269
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & Story
File Size4 MB
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