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________________ १६४ ऋषभ विवाहलो हषि मास झाषाब तो बीजो वदि पक्ष । तिथि बीज मनोहर वार विराजित कक्ष || १४ ।। चवियो अहमिदर मतरीयो जिनराज, । मरदेवी कषि धम सफल दिन प्राज ।। १५ ।। बेत्रियों द्वारा माता की सेवा---- इन्द्रादिक प्राध्या कीचू गर्म कल्याण । मति थोड़ी सारु सुकरीये रे ते बखासा ॥ १६ ॥ गया हरि निज थानकी मूकी छपन कुमारी । जिन माय तरणी सेबा करवा मनोहारी ।। १७ ।। एक नित नहरावे, एक पखाले पाय । एक वीजगडे चटकावे सटके नांखे वाव ।। १८ ॥ एक वेणी समारे, नयणे काजल सारे । एक पोयल काढे एक अमरी सणगारे ।। १६ ।। एक चोसर गुथे, एक प्रापे तंबोस । एक पगते पीले, कुकम सुरंग रोल ॥ २० ॥ एक पाछा अंबर पहराव सुरनारी। एक नलवटि केशर तिलक करे ते समारी ॥ २१ ॥ एक रयण अरी सो देखारे जिनमा | एक वेगवजोडे एक सु करि गाय ।। २२ ।। एक नगरस नाटक नाचे ने नव रंगे। एक बात कथारस कहे सकल सहेली संगे ।। २३ ।। ईम हसतां रमतां पूगाते नवमास । मधुमासे जनम्यां पहोप्ती सहुनी प्रास ॥ २४ ॥ हाल दो इस्त्र एवं देवताओं द्वारा जलाभिषेक : प्रासम कंपीयां इन्द्रनाएं, जाणीयो जिन तगो जनम ! _ नमो नमो जय जिर्णेद ॥ १ ॥ इन्द्र एरावरा. गजि बड्या ए ॥ साथि चाल्या सुरवृद || नमो० ॥ २ ॥ मादेवि मदिर प्रांगणेए, प्रावीया सकल सुरेन्द्र । नमो० ।। ३ ।। इन्द्र प्रादेश लेई सचीइए, गई जिन मातने पास । नमो० ।। ४ ।।
SR No.090103
Book TitleBhattarak Ratnakirti Evam Kumudchandra Vyaktitva Evam Kirtitva Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages269
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & Story
File Size4 MB
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