SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 163
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पद एवं गौत सरोगमपधु-निव-पम-गरी ॥१॥ मूछगता म बंधान साउi . ठेया ठेवन के जू तार मान मृदंग करी ।। धूनीत प्रघरी वाजे देखत संवर लाजे, ___नोसत धीराग सोहे सुन्दरी ॥ २ ॥ संगीत रंगीत रूप निरखीन घलो भूप, जय जय जय जिन प्रानंद भरी ॥ नोलजसा बिहादी पेखी करी करुना, रतनकीरति प्रभु देखी करी ॥ ३ ॥ राग वसंत पारवं गीत वणारसी नगरी नो राजा, अश्वसेन गुणधार । वामादेवी राणी ए अनम्यो, पार्श्वनाथ भवतार ।। विमल वसंत फूल लेई पूजो, श्री संकट हर जिन पास । दर्शन प्ररितमघ निवारे. पहोचे मन नी प्रास ॥१॥ नब कार उन्नत जिनवर राय, इंद्रनील मणि काय । इंद्र नरेन्द्र नित्य नमें पाम, समरे संकट जाय ॥ ६ ॥ मदन गहन पहन दावानल, क्रोधसर्प सुपर्ण । मान मत्त मातग केसरी, भव्य जीव ने सर्ण ॥ ३ ॥ मिथ्यातम नाशन तू सूर्य सम, लोभ दवानल मेह । दुर्द र कमठ वरी मद मूकी, पाय नम्यो तुझ तेह ।। ४ ।। धरणेन्द्र पदमावती करे सेव, भव्य कमलवर भान ।। संसार पावागमन निवारो, हूँ तुम्ह माग मान ॥ ५ ॥ श्री हासोट नगर सोमा कर, संकलसंघ जयकार । रतनकीरति सूरि अनुदिन प्रगमें, श्री जिन पास उदार ॥ ६ ॥ प्रय बलभद्र नी पोनति : (३७) प्रणमी नेमी जीनेन्द्र, सारदा गुण गण मंडणीये । गौतम स्वामीय पाय वंदन करु भव संरणीये ।। मोरठ देश विशाल इंद्र नरेन्द्र मनोहर' ए। सोमाबत अपार नर नारि तिहा सुदरु ए ।।
SR No.090103
Book TitleBhattarak Ratnakirti Evam Kumudchandra Vyaktitva Evam Kirtitva Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages269
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & Story
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy