________________
भट्टारफ रत्नकीर्ति एवं वुमुदचन्द्र : व्यक्तित्व एवं कृतित्व
. .
-.--.
-
-
नगर द्वारिका राय रुपकला गुण वारिधि ए। कामिनी रूप विसाल रोहिणी नाम सुखोमीये ए॥ साली क्षेत्र वर में ....... ... चन्द्र परमोहतीए । . .......... ..... ...... ... ... ....... ॥ २ ॥ स्वपन दीठा ते नार देव पपरमुगल ए। अवतरीया वलदेष त्रीभोवन मोहन पर यल ए ।। देव की पुत्र उदार नारायण मंध पसरणेए । माहाराज वर तेह. त्रीण खंडना सुधर्म ए॥ ३ ॥ पद्मनाम बलभद्र चितवसा सुख पामोए । कीधा राज महंत भोगवे पुन्य वरवारिणये ए॥ थीयो द्वारिकां नां सवे बांधव सव निसगए। को नौरभव मानवत दुग्ण वीसऱ्या ए॥ ४ ॥ सर्व प्रचलनो राय तुगो गिरवर सोमतोए । कोर नवारण सीध्द ते जे श्रीभोवन मोह तोए ।। श्री नारायण भंग नैराग पामी धीर मन । चारी लीधू धन्य ध्यान ऐ त बन ॥ ५ ॥ राम नाम गुणवंत पूजता भव नासीये ए। नामे रोग समूह नाग गजेंद्र सु घासी ॥ भूत पिसाच ... ... ... झाकनी डाकनी रोग हरे ॥ ६ ॥ लक्ष्मी नारि सुरूप पुत्र पुरंधर नादीये ए। सकल कला गुणवंत अभय नंदि गुरु वांदीमे ए । वीनति राम नरेन्द्र रतनकीर्ति भरणे भाव धरी। स्वर्ग मोक्ष नर नारि लहे भणे जे सुभ मन करी ॥ ७ ॥