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________________ पद एवं गीत राग मल्हार : सम्वी री सावनि घटाई सतावे || रिमिझिम बंद बदरिया बरसत, नेमि नेरे नहि माघे ॥ १ ॥ कुजत कीर कोकिला बोलत. पपीया बचन न भावे ।। दादुर मोर घोर घन गरजत इन्द्रधनुष हरावे ॥ २ ॥ लेख लिखू री गुपति वचन को, जदुपति कु जु सुनावे । रतनकीरति प्रभु अब निठोर भयो, अपनो वचन विसरावे ।। ३ ॥ राग न नाराण : नेम तुम कैसे चले गिरिनारि । कसे विराग वरयो मन मोहन, प्रीति विसारि हमारी ॥१॥ सारंग देती सिंधारे गारंगा, सारंग नयनि लिहारी ॥ उनपे तत मंत मोहन हे वेसो नेम हमारी ।।२।। करो रे मंभार सावरे सुन्दर, चरण कमल पर वारी । रतनकीरति प्रभू तुम विन राजुल, विरहानलहु जारी ।। ३ ।। राग नडो: कारण कोउ पीया को न जाने ।। टेक ।। मन मोहन मंडप ते बोहरे पसू पोकार बहाने ॥ १ ॥ मोपं चूक पड़ी नहीं पल रति भ्रात तात के ताने । अपने हर की पाली बरजी सजन रहे सब छाने ॥२॥ पाये बोहोत दीबाजे राजे सारंग मय धूनी ताने । रतनकीरति प्रभु छोरी राजुल, मुगति बघू बिरमाने ॥ ३ ॥ राग कनडो : सुदसणं नाम के मैं वारि ।। तुम विन कैसे रहु दिन रयणी, मदन संताने भारी ॥ १॥ जावो मनाको प्रानो गृह मेरे यो कहे अभिया रानी ॥ २॥ रतनकीरति प्रभु भये जु विरागी, सिंध रहे जीया धाई ।। ३ ।।
SR No.090103
Book TitleBhattarak Ratnakirti Evam Kumudchandra Vyaktitva Evam Kirtitva Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages269
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & Story
File Size4 MB
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