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नेमिनाथ फाग
श्री जिन युग धन जोणिय वस्त्राणये वारिण विस्मात | सारदा वरदा स्मा मिनी, भामिनी भारती मात ॥ १ ॥ विमल विद्या गुरु पूजीइ, बुझिये मुगति तगां फल पाईई,
ज्ञान अनन्त ।
गाइए
राजुल कंत ॥ २ ॥
पापनो अंश ।
यादव कुल चरणो श्रवतरमो अवनि श्रनोपम सुन्दर शिवादेवी नन्दन, समुद्र विजय धन
तास,
कुंभर करूणा वन्त,
मण्डप, खण्डन
मल्ल युद्ध जो ए करे, पारखे प्राश्रमें पुरों, पाणिग्रहण करी पांडु, परणो प्रभू कहे मे, सिषयी सुन्दरी सामले, खड़ो खली झीलवा चालिय, जुगल कमले करी कामिनी, पाणिग्रहण पर प्रेम रे, बल छल कल करी, उग्रसेन फेरी कुवरी,
उपमना
सूरो
चन्दन
विख्यात
कहंव अपार |
राज काज मनि श्राखिय
महन्त जारिणय करे मोरारि ॥ ५ ॥ जोउ पारथ एह तरतू ब्रह्मतस्तु माने पञग सेजि पोढिय कम्बू धनुष घरे
मन्न ।
धश्न ।। ६ ।।
होय ।
कोय ॥ ७ ॥
देखाइ'
श्रधिकवतंश ॥ ३ ॥
त्रिभुवन तेह |
वसुधा एह ॥ ४ ॥
बहु परिप्रक्रमी
ए सो
नही
इम
आमले
मनोहेरा
विपरीत ।
रूप
रीस ॥ ८ ॥
पाडना बात
झालिय नेमने हाथि ॥ ६ ॥ स्वामिनी छांडे देह ।
नेम धरो मनि नेह ॥ १०॥ भोलग्यो भोले
नेमकुमार |
राजुल
अपार ।। ११ ।