________________
१२०
पांडे हेमराज
भाषा, प्रवचनसार भाषा, कर्मकाण्ड भाषा, पञ्चास्किाय माषा, परमात्मप्रकाश भाषा प्रादि प्रमुख हैं । प्रवचन सार को बाहोंने १७ri नदवा को १७२४ में समाप्त किया था । अभी तीन रचनायें और मिली है जिनके नाम दोहाशतक, जखडी तथा गीत हैं। रचनामों के प्राधार पर कहा जा सकता है कि कवि का हिन्दी गध एवं पध दोनो में ही एक सा ही अधिकार था । भाव एवं भाषा की दृष्टि से इनकी सभी रचनायें अच्छी है । दोहा शतक, जखडी एवं हिन्दी पद अभी तक अप्रकाशित हैं।