SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 115
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ब्रह्म जयसागर किया है तथा जाजन को रत्नकीति की पूजा, भक्ति करने की प्रेरणा दी गयी हैं । उस समय प्रात काल चावकगण भइटारकों के दर्शन करते थे तथा उपमा सुनकर अपने जीवन को सौभाग्यशाली मानते थे । भट्टारकों के शिष्य जाता में उनका प्रचार भी किया करते थे । ६. संकटहर पाप जिनगीत हांसोट नगर में पाश्र्वनाथ स्वामी का मन्दिर था । उसी वा इस गीत में स्तवन किया गया है। उसे शक हर पाश्वनाथ के रूप में स्मरण किया गया है । मन्दिर में प्रतिदिन उत्सव विधान होते रहते थे तो सभी भक्त अपनी मनोकामना । के लिये प्रार्थना किया करते थे । ७. क्षेत्रपाल गीत घोषा नगर के दिगम्बर जैन मन्दिर में क्षेत्रमा विराजमान ।। म्ह के सतपन में यह गीत लिखा गया है । कवि ने क्षेत्रपाल वो सम्यग्दष्टि | जिन शासन का रक्षक रहा है। ८. महारक रस्मकीतिमा पूजा गीत कवि के समय में भट्टारकों वा इतना अधिक प्रभाव भी कि उनको मी अष्टप्रकारी पूजा होती थी । अ. जय सागर में प्रस्तुत गीत में इसी के लिये नावान किया है। ९ चौपई गीत इसी में करिने भट् रिक पद्मा -भ. देव द्रको ति से लेकर भट्टारक स्नकीति तक के भट्टारकों का उल्लेखदा है । गत ऐतिहासिक ति है । १७. मीश्वर गीत नेमिनाथ पर कवि के दो गीत उपलब्ध हुए है । गीत सामान्य है। 11. जसोधर गौत यशोधर के जीवन पर जन कवियों ने सभी भापात्रों में काव्य लिखें हैं । कवि ने भी इस गीत में राजा यशोधर के जीव | का अति संक्षिप्त वर्णन किया है। १२. पंचकल्माएक गीत यह कषि की सबसे बड़ी रचना है जिन में शान्तिनाथ स्वामी का गर्भ कल्यामयर
SR No.090103
Book TitleBhattarak Ratnakirti Evam Kumudchandra Vyaktitva Evam Kirtitva Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages269
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & Story
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy