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________________ भरतेश वैभव बद्धिमती हो तो पति मूर्ख, पति वीर हो तो पत्नी भीरु, पत्नी शूर हो तो पति कायर, पति व्यवहार कुशल हो तो पत्नी भोली, पत्नी कार्यचतुर हो तो पति भोंदूः इस प्रकारकी विलक्षणतासे संसार भरा पड़ा है। परन्नु वहिन !. पतिपत्नियोंकी समानतामें तुम सदृश प्रशंसा प्राप्त करनेवाले लोकमें कौन हैं ? तुम लोगोंमें पतिके अनुकूल पत्नी, पत्नीके अनुकुल पतिके गुण हैं । सब लोग तुम्हारे पुरुषको प्रशंसा करते हैं और तुम लोगोंकी भी प्रशंसा करते हैं। सर्वकला विशारद पुरुषको पाना स्त्रियोंका पूर्वजन्ममें अजित पुण्य समझना चाहिए। कलाओंमें प्रवृत्ति करनेके अनुकूल स्त्रीका पाना भी पुरुषका महापुण्य समझना चाहिये । लोकमें स्त्री पुरुषों में परस्पर अनूकल प्रवत्ति मिलना कठिन ही नहीं, दुर्लभ है। इसके लिये अनेक जन्मों का संस्कार, भावना पुण्यकी आवश्यकता है। कुसुमाजी बहिन ! मुझे यह कहने में हर्ष होता है कि तुम लोगोंमें व भरतमें जो अनुकूल प्रवृत्ति है, वह लोकमें आदर्शरूप है। इस प्रकारका दृश्य अन्यत्र दुर्लभ है । बहिन ! तुम लोगोंने कितना पुण्य किया है ? क्या वत पालन किया है, किस प्रकारकी शुद्ध भावना की है ? कह नहीं सकते। बहिन ! विद्वान् पति व विदषी पलीका मिलाप संचमचमें बहत मधुर मालूम होता है। जिस प्रकार कि वीणाके तार मिलकर मीठा स्वर निकलता है। इस प्रकारका सुयोग हाथीपर सवार होनेके समान है। मोका योग बलपरकी सवारी है। विशेष क्या? उनकी जोड़ी साक्षात् कामदेव व रतिदेवीकी ही जोड़ी है। बहिन ! समयको जानना चाहिये । योग्यायोग्य विचारको जानना चाहिये । अपने पतिके चित्तको देखना चाहिये । समय-समय पर नूतन शृङ्गार करना चाहिये। वह उत्तम सुखियोंका लक्षण है। पतिका शृङ्गार पत्नीको प्रिय, पत्नीका शृङ्गार पतिको प्रिय, इस प्रकारका आचरण रखना स्त्रियोंका धर्म है। ___ स्त्रियों को प्रत्येक विषयकी चिन्ताको आवश्यकता है । गंभीरताको भी वे प्राप्त करें। उग्रताको दूर करें। बहिन ! वीरताकी भी आवश्यकता है। आचार व शीलोंका पालन करना उनका परमधर्म है । उत्तम भोगियोंका यह लक्षण है। __ बहिन ! कामसुखको आसक्तिपूर्वक नहीं भोगना चाहिये। जठराग्निकी तीव्रता मंदता आदिको जानकर जितना आवश्यक हो उतना
SR No.090101
Book TitleBharatesh Vaibhav
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnakar Varni
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages730
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size16 MB
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