SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 52
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भरतेश वैभव ३७ विलम्ब नहीं करते, तब फिर कुछ स्त्रियों की क्या बात है ? और वे भी उनकी अंतःपूरस्थ रानियाँ हो। ___ भरतने मुवर्णके जलपात्रको स्वयं अपने हाथसे उठाया। सब रानियोंको हाथ-पाँब धोकर भोजनको चलनेके लिये कहा । इतने में वहां एक विनोदप्रद घटना हुई । भरतजी जिस समय उस सुवर्ण कलशको हाथ लगाकर जल्दी-जल्दी में एक रानीको दे रहे थे, उस समय उस कलशका जरासा धक्का भरतेशको लगा, कोई चोट नहीं आई केबल किंचित् स्पर्श हुआ। इतने में उस रानीने भरतेश्वर विशेष प्रसन्न हो इसलिए कहा "जिन ! जिन ! सिद्ध ! हा! आपको लग गया" यह कहकर वह दुःख प्रदर्शित करने लगी। उसका मुख पलान हो गया । वह आँख उठाकर नहीं देख मकी। उसके ओंठ सुख गये। वह दुःखी होकर कहने लगी स्वामिन् ! कहें तो आप मानते नहीं, आगहो गड़बड़ी करते हैं 1 अब आपको लग गया, इसमें मेरा क्या दोष है? इतने में अन्य स्त्रियोंने भी दःख प्रदर्शित करना आरंभ कर दिया। कोई खम्बेके महारे, तो कोई दिवालके सहारे टिककर खड़ी हो गई । कोई शाब्दिक तो कोई मानसिक दुःख प्रदर्शित करने लगी। ___इम दृश्यको मुखकर भरतेश्वरको हँसी आई वे कहने लगे हा ! कन्ट है। भरतका कैसा भाग्य है। इस समय यह क्या स्थिति है ? इस प्रकारके वचनोंसे उन स्त्रियोंका चिन जरा पिघलने लगा। वे अब विरस प्रसंगको सरसरूप देनेका यल करने लगी। वे हमती हुई आगे आकर बोली "प्राणनाथ ! आप जो कह रहे हैं वह पुर्ण मन्य है यदि हम जरा टिककर खड़ी हो गई तो क्या हुआ ? हमारे मुखकी क्रांति क्या कहीं चली गई ? आप इतनी चिन्ता क्यों कर रहे हैं ? हम लोगोंने थोड़ी देर विनोद किया। इसमें चिन्ता की कोई बात नहीं है। ___स्वामिन् ! अपराधियोंको दण्ड देनेवाले राजा ही यदि अपराध करें तो फिर क्या कहें ? इस प्रकार उन स्त्रियोंने हंसते हुए कहा और वे भरतके मनको हर तरह से प्रसन्न करने लगी। बस ! अब रहने दो विनोद ! आप लोग सब थक गई हैं। अब हम सब लोग भोजन करें, ऐसा कहकर चक्रवर्ती भरतने उन सबको अपने साथ ही भोजनको बिठा लिया।
SR No.090101
Book TitleBharatesh Vaibhav
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnakar Varni
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages730
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy