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________________ धरतेश वैभव यह हम्मीरके राजा हैं, देवि देखो! सुलोचना उसे देखकर आगे बढ़ी । उस राजाको आँखें भर आई जैसे कि उसका बाप ही चल बसा हो । ___ चीनदेशका यह राजा है, यह कहनेपर उसे भी देखकर सुलोचना आगे बढ़ी। बह राजा सिर खुजाते हुए अपने जीवनको धिक्कार रहा था। . यह लाटदेशका राजा है। सुलोचना उसकी परवाह न कर आगे बढ़ी। उसे बहुत बुरा मालूम हुआ। मिलने के लिए बुलाकर किसीको धक्का दिया तो जिस प्रकार होता हो, उसे बहुत दुःख हुआ । गौडदेशके राजाको देखकर यह गांवडेका गौडा होगा यह समझकर सुलोचना आगे बढ़ी। बंगालके राजाको देखकर भी आगे बढ़ी। वह बहुत घबरा गया । इस प्रकार वह महेन्द्रिका अनेक देशके राजाओंके परिचयको कराते हुए जा रही थी। ____ अंगदेश, काश्मीर, कलिंग, कांभोज, सिंहल आदि अनेक देशोंके राजाओंका परिचा गया। परन्तु वह सुलोचना भागेती हो गई पुनः महेन्द्रिका कहने लगी कि देवो! यह म्लेच्छभूमिके राजा हैं, ये विद्याधर राजा हैं, ये सूर्यवंशो हैं, ये चन्द्रवंशी हैं। इत्यादि कहने पर भी सुलोचना सुनती हुई जा रही थी। गुणचन्द्र, शुभचन्द्र, रणचन्द्र, सुरचन्द्र आदि अष्ट चन्द्रोंका मी परिचय कराया गया । उनको तृपके समान समझकर आगे बढ़ी।। अनेक तरहके पुष्पोंको छोड़कर जिस प्रकार प्रमर भाकर कमलपुष्पके पास ही खड़ा रहता है, उसी प्रकार वह सुलोचना देवी सबको छोड़कर एक राजाके पास आकर खड़ी हो गई। वह भी परम सुन्दर था । उसके प्रति देखती हुई वह खड़ी है, सुलोचनाके मनको भावनाको समझकर महेन्द्रिका कहने लगी कि देवी ! अच्छा हुआ, सुनो ! इसका भी परिचय करा देती हूँ। यह हस्तिनापूरके अधिपति अप्रहित सोमप्रभ राजाका सुपुत्र है। सुप्रसिद्ध है, कुरुवंशभूषण है, कलाप्रवीण है. गुणोत्तर है, भरतचक्रवर्तीका प्रधान सेनापति है । परबलकालभैरव है, शत्रुओंको मार भगाकर वीराग्रणि उपाधिसे विभूषित हुआ है। मेघमुख व कालमुख देवों के साथ घोरयुद्ध किया हुआ यह वोर है। इसका नाम मेघेश्वर है। इसलिए ऐसे
SR No.090101
Book TitleBharatesh Vaibhav
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnakar Varni
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages730
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size16 MB
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