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________________ भरतेश वैभव ५११ अच्छा है । अब आपने जो विचार किया है वह ठीक है। इस प्रकार वातचीत करते हुए आगे बढ़ रहे थे। स्तुतिपाठकगण जगदेकमल्ल, जाड्योद्धृत मनुवंशगगनमार्तंड, उदंड. कामदेवाग्रज, विक्रांतनाथ, विश्वंभराभूषणचक्रेग, चक्रवाकध्वजाग्रज, आपकी जय हो। इत्यादि प्रकारसे स्तुति कर रहे थे। सम्राटको बाहुबलिने १००-२०० गज दूरसे देखा, वाहवलिने विचार कर अपने मंत्री-मित्रोंसे कहा कि भरतेश आ रहा है । जब युद्ध की भेरी बजाई जायगी तब मैं उसका मुग्न देखंगा। तबतक. मुझे उसका मुख भी देखनेका नहीं है। इसलिए वे पीछेकी ओर फिरकर बड़ा हो गया। भरतेश्वरने इसे देख लिया, हमकर कहने लगे कि भाईका मुस्त्र मुझे देखते ही टेढ़ा हो गया, भुजवल कम हुआ। किसने उसे छीन लिया ? मनमें वे पुनः कह रहे थे कि त्रिलोकाधिपनिके गर्भ में जन्म लेकर लोकके सामने इस प्रकारके अल्प कार्यके लिए प्रवृत्त हुआ ! खेद है ! इस प्रकार विचार करते हुए भरतेश्वर बाहुबलिसे ८-१० गज दूर पर जाकर खड़े हुए। __दोनों दीर्घदेही हैं। मालूम होता था कि दो पर्वत ही आकर खड़े हों। भरतेश्वरका देह ५०० गज प्रमाण है। परन्तु बाहुबलिका ५२५ गज प्रमाण हैं । देप्रमाण ही सूचित कर रहा था कि वह बड़े भाईको उल्लंघन कर जानेवाला है। कलियुगके लोगोंके हाथसे पांच सौ गज प्रमाण उसका शरीर था । परन्तु कृतयुगके पुम्पोंके हाथ में एक ही गज प्रमाण वह शरीर था। वैसे तो क्रमसे सवत्रा शरीर पांच मो धनुष्य प्रमाण है। परन्तु बाहुबलिका शरीरप्रमाण २५ धनुप प्रमाण अधिक था, यह आश्चर्यकी बात है। उस ममय चक्रवर्तीका सौंदर्य व कामदेव. का सौंदर्य लोग बारीकीसे देख रहे थे। सबके मुबम बही उगार निकालता था कि भरतेशसे बाहुबलि, मुन्दर है। बाहुबपिसे भरतेश्वर सुन्दर है। सौंदर्य में कामदेव प्रसिद्ध नव चक्रवर्ती कामदेयके समान सुन्दर नहीं होते हैं। परन्तु आत्मभावा भरतेम मार कामदेव भी बढ़हार सुन्दर थे। क्योंकि ध्यानकी मामय सामान्य नहीं हुआ करती है। इस प्रकार दोनों अतुलशक्तिको धारक उहाँपर बड़े है। सेनागण उनके सौंदर्यको देख रहा था और देखें अन, शक्तिमें कौन जीलंगे, कौन हारंगे, देखना चाहिए । इस प्रतीक्षामें सब लोग खड़े थे। ___ गाजे-बाजेका शब्द बंद हुआ। भरतेश्वरने कहा कि युद्धकी भेरी अभी बजानेको जरूरत नहीं। मैं अपने भाईसे दो-चार बातें पहिले
SR No.090101
Book TitleBharatesh Vaibhav
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnakar Varni
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages730
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size16 MB
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