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________________ भरतेश वैभव आप दोनों पराक्रमी हैं। जब आप लोग लोहास्त्रको लेकर युद्ध करेंगे तो प्रलयकाल ही आ जायेगा । अब हमारा संरक्षण नहीं हो सकेगा, यह निश्चय है। आप दोनों वनदेही जिस समय युद्धरंगमें प्रविष्ठ होंगे तो काँचकी चूड़ियोंकी दुकानमें दो मदोन्मत्त हाथियोंके प्रवेशके समान हो जायेगा । "तब आप लोग क्या कहते हैं' बीच में ही भरतेश्वरने पूछा। उत्तरमें उन लोगोंने कहा कि हमने एक उपाय सोचा है, परन्तु कहनेके लिए भय मालूम पड़ता है। 'डरनकी कोई जरूरत नहीं, आप लोग बोलो" भरतेश्वरने कहा। स्वामिन् ! धर्मयुद्धकी स्वीकृति दीजिये । दृष्टियुद्ध, जलयुद्ध और मल्लयुद्ध आप लोग दोनों करें इसके सिवाय कोई युद्ध नहीं करना चाहिए। यही हम सबकी अभिलाषा है । उत्तरमें भरतेश्वरने कहा कि आपलोगोंने मुझसे कुछ भी नहीं पूछा। बाहुबलि जैसा कहता हो वैसा ही सुननेके लिए मैं तैयार हूँ। उससे जाकर पूछे । उसकी इच्छानुसार व्यवस्था करें । ___सब लोग वहाँसे संतोषके साथ बाहुबलिके पास गये। हाथ जोड़कर खड़े हुए। बाहुबलिने कहा कि क्या बात है ? उत्तरमें कहा कि स्वामिन् ! आपसे कुछ प्रार्थना करना चाहते हैं, परन्तु भय मालम होता है। तब बाहुबलिने कहा कि मैं समझ गया। आप लोग युद्ध रुकवाना चाहते हैं । और क्या ? उत्तरमें उन लोगोंने कहा कि स्वामिन् ! युद्ध तो होना चाहिये । बाहुबलिने कहा कि अच्छा तो आगे बोलो, डरो मत ! तब उन मन्त्री-मित्रोंने प्रार्थना की कि स्वामिन् ! युद्ध होने दो। परन्तु खड्गयुद्धकी आवश्यकता नहीं। उससे भी बड़े मृदुलययुद्धको आप दोनों अपने भुजबलसे करें, सेनाकी नाशकी जरूरत नहीं । बीच में ही वात काटकर बाहुबलिने कहा कि मैं यह सोच ही रहा था कि सामनेकी सेना अधिक संख्यामें है। मेरी सेना बहुत थोड़ी है । ऐसी अवस्थामें आपलोगोंने जो मार्ग निकाला सो यह मेरा पुण्य है चलो अच्छा हुआ, आगे बोलो! ___ स्वामिन् ! पहिला दृष्टियुद्ध होगा। उसमें एक दूसरेके मुखको अनिमिषनेत्रसे देखना चाहिये । जिनके नेत्र पलिले बन्द हो जायेंगे उस समय उसकी हार मानी जायेगी। दूसरा जलयुद्ध होगा। एक दूसरे हायसे एक दूसरेके मुखपर पानी फेंके । जो मुखको हटायेंगे वे हार गये ऐसा समझना चाहिये । इतनेसे युद्धकी समाप्ति नहीं होगी।
SR No.090101
Book TitleBharatesh Vaibhav
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnakar Varni
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages730
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size16 MB
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