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भरतेश वैभव
गये । इसलिये थोड़ीसी देरी हुई कदाचित् तुम्हारी उपेक्षाकी ऐसा मत समझो | स्वामी दरबारमें बिराजे हैं। तुम्हारे आगमन समाचारको सुनकर उन्हें बड़ी प्रसन्नता हुई। उन्होंने तुमको अन्दर ले आनेकी आज्ञा दी है। यह कहते हुए वह सिपाही दक्षिणांकको अन्दर ले गया। सोनेसे निर्मित दरवाजे, सोने की दीवार रत्नसे निर्मित खंबे. कस्तुरीका लेपन आदियोंका देखते हुए दक्षिणांक अन्दर आ रहा है । कहीं-कहीं पिंजरे में तोते लटके हुए दक्षिणांकको देखकर बोल रहे थे, "कौन है ? दक्षिणांक ! पंचशरके दर्शनके लिये आया है ? भरतेश कहाँ है ? यह क्यों आया है ?" इस प्रकार वे तोते बोल रहे थे ।
दूसरी जातिके पक्षी बोल रहे थे कि शायद भरतेशका मित्र होनेसे गर्व होगा । परन्तु यह कामदेवका दरबार है, जरा झुककर विनय से आओ ।
बाणपक्षी बोल रहा है कि कोई कवि वर्ग रहको न भेजकर भरतेशने चतुर दक्षिणांकको भेजा है, भरतेश सचमुचमें बुद्धिमान् है ।
एक कबूतर बिलकुल दक्षिणांकके मुखपर ही आकर बैठ रहा था । दक्षिणांकने गड़बड़ी से हाथसे उसे भगाया, तब वहाँ की स्त्रियां एकदम खिलखिलाकर हँस पड़ीं ।
इस प्रकार दक्षिणांक कामदेवके आस्थान की सभी शोभाओंको देखते हुए आगे बढ़ रहा था, इतने में सिंहासन पर विराजमान बाहुबलिको देखा | उसके पीछेसे परदेके अन्दर आठ हजार उसकी स्त्रियाँ बैठी हुई हैं, सामनेसे मंत्री सेनापति आदि बैठे हैं और बाकी परिवार हैं। बाहुबलि अपने सौंदर्यसे सबको मोहित कर रहा था । स्वाभाविक सौंदर्य, भरतवानी, अनेक अलंकार अदियोंसे तीन लोकमें अपने वैशिष्टको सूचित कर रहा था। उसके रूपको देखते ही वह चाहे स्त्री हो या पुरुष, उसे रोमांच होना ही चाहिये । आठ स्त्रियाँ इधर-उधरसे खड़ी होकर चामर ढाल रही हैं। बाकी स्त्रियां पंखसे हवा कर रही हैं । कोई तांबूल लेकर खड़ी है तो कोई जल लेकर खड़ी है । उस दरबारमें किसी स्त्रीके हाथमें कोयल है तो किसीके हाथमें तोते हैं। ऐसी वेश्या स्त्रियोंसे वह दरवार एकदम भर गया था।
गायनको सुनते हुए अपने मित्रोंके साथ विनोदव्यवहारको करते हुए बाहुबलि आनन्दसे सिंहासनपर विराजमान है ।
दक्षिणांकको देखकर वेत्रधरनने जोरसे उच्चारण करते हुए बाहुafont सूचना दी कि हे कामदेव ! नरसुर नागलोकको उन्माद करने