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________________ भरतेश वैभव ३१७ पर भी हमारे महल में नहीं आ सकते । इसलिये विवाहका बहाना करके इनको हमने बुलाया है। इस निमिससे तो यह आनन्दका समय देखू इसलिये आप लोगोंको कष्ट दिया । नमिराजके चातुर्यको देखकर सबको हर्ष हुआ। नमिराजने सबको स्नान, भोजनादि कार्यके लिए उनके लिए निर्मित सुन्दर महलोंमें भेज दिया। मनुष्योंके लिए योग्य अन्न, पान. भक्ष्य, विशेष व वस्त्राभूषणोंसे सत्कार कर देवोंको सुगंध द्रव्य, बस्त्र व आभरणोंसे सन्मान किया । भंडारवती आदि देवियां जो आई थीं उनका भी यशोभद्रा देवी के द्वारा यथेष्ट सन्मान हुआ ! दूसरे दिन सब लोगोंने नमिराजसे कहा कि राजन् ! हम सब जिस कार्यके लिए आये हैं उसे हमें करने दो, तब नमिराजने "गड़बड़ क्या है, चार दिन बीतने दो, आप लोग हमारे यहाँ कब आते हैं, इस विवाह के बहानेसे आ गये। इसलिए चार दिन तो मुझे आनंद मनाने दो, मेरी इच्छापूर्ति होनेके बाद आप लोग जाइयेगा।' इस प्रकार नमिराजने उन लोगोंका कई तरहसे सत्कार किया। कभी गायन गोष्ठीमें कभी साहित्य सम्मेलनमें, कभी नवीन नाटक-नृत्योंमें, कभी वाद्यवादनमें और कभी महेन्द्रजाल विद्यामें उन अभ्यागतोंको आनंदित किया । तदनंतर पुनः राजाओंने कहा कि सगाईका कार्य होने दीजिये। बादमें यह सब कार्य करें। नमिराज पुनः कहते हैं कि इतनी जल्दी क्या है, वह होनेके बाद आप लोग क्योंकर ठहर सकेंगे तब वे राजा उत्तरमें कहते हैं कि स्वामीके कार्यको भूलकर खेलकूदमें मस्त होना क्या सज्जनोंका धर्म है ? उत्तरमें नमिराज कहते हैं कि मुहूर्त लग्न अच्छा मिले विना मैं क्या कर सकता है ? आप लोग जल्दी न करें। 'व्यर्थ ही बहानाबाजी क्यों कर रहे हो ? हमें देरी होती है। यह कार्य जल्दी हो जाना चाहिए।" वे कहने लगे। ___"मैंने उदण्डराज व बेतंडराजको कहलाकर भेजा है, उनके आनेकी आवश्यकता है, उनके आनेके बाद यह कार्य में कर दूंगा" नमिराज ने कहा । प्रतिनित्य तरह-तरहके वस्त्र आभूषणोंसे उनका सन्मान किया । अपनी महलमें बुलाकर रोज मिष्टान्न भोजनसे संतषण कर रहा है। मंत्री उसकी भक्तिको देखकर प्रसन्न हुआ। राजागण आश्चर्यचकित हुए। देव व्यंतरगण आनंदित हुए । सचमुच में नमिराज उस समय जो अतिथिसत्कार कर रहा था वह अद्वितीय था।
SR No.090101
Book TitleBharatesh Vaibhav
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnakar Varni
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages730
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size16 MB
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